धर्म-आस्था

Durga Navami 2021: क्या है दुर्गाोत्सव के तीसरे दिन का महत्व? जानिए महा नवमी के बारे में सब कुछ

भारत का बहुप्रतीक्षित त्योहार, दुर्गा पूजा 2021 आखिरकार यहां है. और लोग न केवल उत्सव का आनंद ले रहे हैं, बल्कि इस साल की शुरुआत में देखे गए COVID-19 के कठिन समय के बाद पूजा और अनुष्ठान करने में भी मजा ले रहे हैं. जैसा कि नाम से पता चलता है, ये त्योहार माता दुर्गा को समर्पित है जिन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है. दुर्गा का संस्कृत अर्थ मोटे तौर पर ‘दुर्गम’ में अनुवाद करता है. और दुर्गा अष्टमी की ही तरह, दुर्गा नवमी भी एक विशेष दिन है जो त्योहार में अत्यंत महत्व रखता है. इसे महा नवमी भी कहा जाता है, ये दिन नवरात्रि उत्सव का भी एक हिस्सा है. महा नवमी नवरात्रि का नौवां दिन और दुर्गोत्सव का तीसरा दिन है. इस साल महा नवमी 14 अक्टूबर 2021, गुरुवार को मनाई जाएगी.

दुर्गा नवमी 2021: तिथि और समय

नवमी तिथि 13 अक्टूबर को 20:07 बजे से शुरू हो रही है
नवमी तिथि 14 अक्टूबर को 18:52 बजे समाप्त होगी
अश्विनी नवरात्रि पारण 15 अक्टूबर 2021
सूर्योदय 06:21
सूर्यास्त 17:52

दुर्गा नवमी 2021: महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, माता दुर्गा को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवताओं ने अपनी सामूहिक ऊर्जा से बनाया था. माता दुर्गा को महिषासुर राक्षस का वध करने के लिए बनाया गया था क्योंकि वो आतंक पैदा कर रहा था और कोई भी उसे दूर करने में सक्षम नहीं था.

माता दुर्गा को आठ या दस भुजाओं वाली शेर की सवारी करते हुए दिखाया गया है. भैंस राक्षस महिषासुर के खिलाफ उनकी लड़ाई के लिए सभी देवताओं द्वारा उन्हें विशेष हथियार दिए गए थे.

वो अपनी प्रत्येक भुजा में इन हथियारों को धारण किए हुए हैं. वो शक्ति का शुद्धतम रूप है, उसकी शक्तियां असीम हैं.

दुर्गा नवमी माता दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध का अंतिम दिन है. महा नवमी के दिन मां दुर्गा की महिषासुरमर्दिनी के रूप में पूजा की जाती है क्योंकि उन्होंने इस दिन राक्षस महिषासुर का वध किया था.

दुर्गा नवमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. अगले दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है जिसका अर्थ है विजयी दसवां दिन.

दुर्गा नवमी 2021: अनुष्ठान

– अगर अष्टमी तिथि और नवमी तिथि का संयोग अष्टमी तिथि पर संयोग से पहले हो तो अष्टमी पूजा और संधि पूजा सहित नवमी पूजा एक ही दिन की जाती है.

– दुर्गा बलिदान उदय व्यापिनी नवमी तिथि को किया जाता है और इसके लिए अपराह्न काल सबसे उपयुक्त समय होता है.

– नवमी पूजा के अंत में नवमी होम किया जाता है.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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