धर्म-आस्था

हर कार्य में सफल बनाती है सफला एकादशी, जानें इसकी तिथि, महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी व्रत को बहुत श्रेष्ठ कहा गया है. मान्यता है कि इस व्रत का पुण्य कठोर तपस्या, अश्वमेध यज्ञ और तमाम पवित्र नदियों के स्नान करने से भी कहीं ज्यादा है. एकादशी व्रत के पुण्य के प्रभाव से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और वो पृथ्वी पर सुखपूर्वक जीवन बिताता है और अंत में परमधाम की ओर अग्रसर हो जाता है. अगर आप भी इस व्रत को रखकर इसके पुण्य के भागी बनना चाहते हैं तो सफला एकादशी से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं.

शास्त्रों में हर माह पड़ने वाली एकादशी व्रत के अलग अलग नाम और महत्व के बारे में बताया गया है. पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. सफला एकादशी को 24 एकादशियों में से प्रथम एकादशी माना जाता है. लेकिन इस बार सफला एकादशी 30 दिसंबर, 2021 गुरुवार को पड़ेगी, इस कारण इसे एकादशी साल की अंतिम एकादशी के रूप में मनाया जाएगा. सफला एकादशी व्यक्ति को हर कार्य में सफलता दिलाने वाली मानी जाती है. जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.

शुभ मुहूर्त


एकादशी तिथि शुरू – 29 दिसंबर,  2021 बुधवार दोपहर 04:12 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त – 30 दिसंबर 2021 गुरुवार दोपहर 01: 40 मिनट तक

पारण मुहूर्त – 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार सुबह 07:14 मिनट से प्रात: 09:18 मिनट तक

सफला एकादशी पूजा विधि


किसी भी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी को सूर्यास्त के बाद से हो जाती है. दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें. इसके बाद व्रत के नियमों का पालन करें. एकादशी की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले स्‍नान करके व्रत करने का संकल्‍प लें. फिर गंगाजल का छिड़काव करके भगवान विष्‍णु की विधिवत पूजा करें. रोली, अक्षत, चंदन, पुष्प, तुलसी के पत्ते, अगरबत्ती, सुपारी, फल भगवान को अर्पित करें. इसके बाद सफला एकादशी के व्रत की कथा पढ़ें. प्रसाद चढ़ाएं और आरती करें. दिन भर व्रत रखें. रात को जागरण करके नारायण के भजन कीर्तन करें. अगले दिन स्नान करने के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराकर उसे सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें. इसके बाद उसका आशीर्वाद लेकर स्वयं व्रत का पारण करें. दशमी की रात से द्वादशी को व्रत पारण तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.

व्रत का महत्व


सफला एकादशी के महत्व का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था. इस व्रत को लेकर श्रीकृष्ण भगवान ने कहा था कि बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना सफला एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है. ये व्रत व्यक्ति को सभी कामों में मनोवांछित सफलता प्रदान करने वाला है और अत्यंत पुण्यदायी और मंगलकारी है. जो भक्त सफला एकादशी का व्रत रखते हैं और रात में जागरण करके भजन कीर्तन करते हैं, उन्हें इस व्रत से वो श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है, जो श्रेष्ठ यज्ञों से भी संभव नहीं है. ऐसा व्यक्ति जीवन का सुख भोगकर मृत्यु पश्चात विष्णु लोक को प्राप्त होता है.

The Global Post

The Global Post Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 5 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button