
मदहोश आजकल अपनी पिनक में अलग ही घूम रहे हैं एक तो सूखा पड़ने के आसार हैं दूसरे जरा सा बारिश क्या हो गई गोमती नगर के सड़कों में गड्ढे हो गए इसी चक्कर में फुटपाथ पर चल रही चार पहिया ने मदहोश को ठोक दिया और उस सड़क पर बने गड्ढे में जा गिरे चोटिल तो हो ही गए थे दर्द भी हो ही रहा था उसी में किसी ने उनसे पूछ लिया कि भैया मदहोश नोएडा वाले कांड पर कुछ कहोगे बस इतना कहना क्या था कि उन्होंने बांचना शुरू कर दिया कि नोएडा में महिला से अभद्रता करने के कारण तथाकथित नेताजी जिनका कोई भी संबंध भाजपा से नहीं है 3 दिन बाद मेरठ में पकड़ लिए गए उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है 15 अगस्त तो बहुत पास है 26 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस को पदक देने की सिफारिश जरूर की जानी चाहिए जनता को एकदम बेवकूफ समझने वाली पुलिस और नेता शायद यह भूल रहे हैं कि यह वही त्यागी है जिसे 2019 से नोएडा पुलिस ने 1 साल के लिए सुरक्षा दे रखी थी जो भाजपा के बड़े नेताओं के साथ सत्ता के गलियारे में घूमता था अध्यक्ष जी के साथ मुस्कुराते हुए फोटो खिंचवाता था और तमाम बड़े नेताओं जिनका नाम मैं नहीं लेना चाहता उनके साथ मंच पर हाथ हिलाता था कितना आसान हो गया मंच पर पहुंच कर बड़े नेताओं के साथ खड़े होकर हाथ हिलाना मुझे तो ऐसा नहीं लगता बिना पहुंच तो कोई इन लोगों से मिल नहीं पाता मंच पर पहुंचकर हाथ क्या हिलाएगा जनता दर्शन में तो जो हाल होता है कि जनता दर्शन में जनता ही नहीं मिल पाती है वहां एक अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति पार्टी के अध्यक्ष, पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं और ऊंची कुर्सियों पर बैठे नेताओं के साथ उसके संबंध उजागर हो रहे हैं और यह कह देना कि फोटो तो कोई भी खिंचवा सकता है गौतम बुद्ध नगर के सांसद जी का यह कहना कि मैंने आज तक उसको किसी कार्यक्रम में नहीं देखा झूठ से बढ़कर और कुछ नहीं है शायद हो सकता कि मामला महिला से अभद्रता का केवल ना हो करके अंदरूनी कोई ऐसा मामला हो जिसके लिए सांसद जी को कमर कसना पड़ा और उसके 3 दिन बाद यह व्यक्ति पकड़ा गया । उसकी सभी गाड़ियों पर भारतीय जनता पार्टी के झंडे लगे हुए हैं विधायक का स्टीकर लगा हुआ है क्या विधायक का स्टीकर बन जाना इतना आसान है यहां तो लोक भवन में गाड़ी से घुसने के लिए अखबारों के पत्रकारों को एक लाख से ऊपर की प्रसार संख्या होना आवश्यक है कुछ अधिकारी जो पत्रकारों का ध्यान रखते हैं उनके हस्तक्षेप के बाद भी कार का पास 8 महीने 10 महीने में बनता है वह भी बड़ी सिफारिश के बाद लेकिन विधायक जी का पास जो कि 2023 तक वैध है बन गया और त्यागी जी की गाड़ी पर लग गया गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर साहब ने बताया है कि इसको स्टीकर कैसे मिला इसकी एक उच्च स्तरीय जांच की जाएगी त्यागी जी का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने उनको स्टीकर दिया जो अब समाजवादी पार्टी में जा चुके हैं इससे तो ऐसा लगता है कि स्टीकर ना हुआ कुछ और ही हो गया कि मौर्या जी सबको बांटते फिर रहे हैं विधायक का स्टीकर। जहां तक जांच की बात है कुछ जांच जरूर की जानी चाहिए जनता को बताया भी जाना चाहिए की जांच की जाएगी लेकिन जांच कब होगी और कितने उच्च स्तर की होगी यह किसी को पता नहीं लगना चाहिए क्यों? क्योंकि फिर सबके सब नंगे हो जाएंगे ऐसे छुटभय्यै नेता हर राजनीतिक पार्टी के विशेष जीव हैं जिनका इस्तेमाल बड़े नेता अपने हित साधने के लिए करते हैं दलाली का काम , ठेकेदारी का काम ट्रांसफर ,पोस्टिंग का काम, इन्वेस्टमेंट यह सारे काम ऐसे ही छुटभय्यै नेताओं के माध्यम से होता है जिसमें ऊंची कुर्सी पर बैठे पद आसीन लोग मौका पड़ने पर हाथ भी झाड़ लेते हैं फिर थोड़े दिन बाद इस बात को याद रखते हुए कि'”राजनीति में कोई न किसी का दुश्मन होता है ना किसी का दोस्त ” फिर गलबहिया डाल कर के मौके पर एक साथ घूमते हैं इन्हीं में से कोई विधायक हो जाता है, कोई एमएलसी हो जाता है कोई जिला पंचायत का अध्यक्ष हो जाता है कोई किसी आयोग का चेयरमैन हो जाता है और व्यवस्था यथावत चलती रहती है ऐसी तमाम जांचें जिसमें दलालों ने सचिवालय में ही दफ्तर खोल लिया था और वहीं से वह पूरी व्यवस्था को ऑपरेट करते थे उसकी जांच भी हुई पर अंत में हुआ क्या यह किसी को कुछ नहीं पता ऐसा ही इसमें भी होगा एक स्टीकर का पता करने में अगर कमिश्नर साहब को इतना टाइम लग रहा है और एक टुच्चे से अपराधी को पकड़ने में 3 दिन लग जा रहे हैं तो क्या कहा जा सकता है हां इसके पीछे एक और कहानी हो सकती है कि इन 3 दिनों के दौरान कुछ मैनेज करने का प्रयास किया गया हो लेकिन मामला बैठा ना हो तो इसलिए यह कहा गया हो कि भाई तू पुलिस के हवाले हो जा ,जेल चला जा उसके बाद निकल तो आएगा ही, निकलने के बाद सारी भरपाई तुम्हारी कर दी जाएगी। पकड़े जाने के बाद त्यागी जी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि हां मैंने गलती की है वह महिला मेरे बहन समान है बहन है समाज में महिलाओं का आदर किया जाना चाहिए और मुझे भी अंदर से लगता है कि मुझे उनसे माफी मांगनी चाहिए धन्य है त्यागी जी आपके सदाचार और शिष्टाचार की बातें ,त्याग की भावना देख कर के तो ऐसा लगता है कि इस बार रक्षाबंधन पर राखी कम पड़ जाएगी।
चलिए साहब खैर देखा जाता है कि जांच की आंच कहां तक पहुंचती है।