सुप्रीम कोर्ट ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय दिया है और मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की है. चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 17 अगस्त को इन याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, साथ ही यह स्पष्ट किया था कि अदालत नहीं चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वाली किसी भी चीज का खुलासा करे.
बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं. मंगलवार को जैसे ही मामला बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कुछ कठिनाइयों के कारण बेंच द्वारा मांगा गया हलफनामा दाखिल नहीं किया जा सका. उन्होंने कोर्ट से गुरुवार या अगले सोमवार को मामला सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया.
मेहता ने कहा, ‘‘हलफनामे में कुछ कठिनाई है. हमने एक हलफनामा दाखिल किया है, लेकिन आपने (कोर्ट ने) पूछा था कि क्या हम एक और हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं, कुछ अधिकारी नहीं थे… क्या यह मामला गुरुवार या अगले सोमवार को रखा जा सकता है.’’ सीनियर जर्नलिस्ट एन राम की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें अनुरोध पर कोई आपत्ति नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘इसे सोमवार को सूचीबद्ध किया जाए.’’ कोर्ट इस मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक याचिका सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
अटकलों और अनुमानों पर आधारित हैं याचिकाएं- सरकार
ये याचिकाएं इजरायली कंपनी NSO के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग कर प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी करने की रिपोर्ट से संबंधित हैं. एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा है कि पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था.
केंद्र सरकार ने इससे पहले अपने संक्षिप्त हलफनामे में कहा था कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं “अटकलों, अनुमानों” और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं. हलफनामे में सरकार ने कहा था कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही कथित पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद में उसका रुख स्पष्ट कर चुके हैं. इसमें कहा गया था, “उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों और अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों और अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं.”
(भाषा इनपुट के साथ)