स्वास्थ्य

केजीएमयू के डॉक्टरों ने शिक्षक को नया जीवन और चेहरा दिया।

लखनऊ। 56 वर्षीय स्कूल शिक्षक को दूसरी लहर में कोविड हुआ और फिर खतरनाक ‘ब्लैक फंगस’ या म्यूकोर्मिकोसिस, जिसने उनके दाहिने चेहरे का अधिकांश भाग नष्ट कर दिया। 2021 में एम्स ऋषिकेश में जीवन बचाने के लिए उनकी सर्जरी हुई।
लेकिन इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने अपनी दाहिनी आंख, ऊपरी जबड़ा और दांत सहित लगभग आधा चेहरा खो दिया।
सामान्य खाना, निगलना, बोलना और कक्षाएं लेना लगभग असंभव हो गया। चेहरा बुरी तरह प्रभावित हुआ और लोगों और समाज का सामना करना एक बड़ी चुनौती थी।
मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थेटिक यूनिट के प्रभारी प्रोफेसर सौम्येंद्र वी. सिंह ने कहा कि पुनर्वास जटिल था और इसमें 9 महीने लगे। उपचार 2 चरणों में किया गया था, पहले में ओबट्यूरेटर प्रोस्थेसिस बनाया गया, जिससे रोगी का खाने, बोलने और खाना निगलना पुनः संभव हो पाया।
दूसरे चरण में फेशियल प्रोस्थेसिस बनाई गई, जिससे मरीज को अपने छात्रों और समाज का सामना करने का आत्मविश्वास दिया।
विभागाध्यक्ष प्रो. पूरन चंद ने साझा किया कि डिजिटल स्पेक्ट्रोफोटोमेट्री का उपयोग करके ऑर्बिटल प्रोस्थेसिस जो की सिलिकॉन पदार्थ से बनती है, को वास्तविक त्वचा जैसा बनाया गया।
और ऑबट्यूरेटर प्रोस्थेसिस, जो ऐक्रेलिक से बनाई जाती है, को नवीनतम 3डी टेक्नोलॉजी से प्रिंट किया गया।
प्रोफेसर जितेंद्र राव, डॉ दीक्षा आर्य और डॉ ए सुनयना टीम के अन्य सदस्य थे।
रोगी ने कहा कि वह अध्यापन फिर से शुरू करेंगे और सेवानिवृत्ति के बाद भी मुफ्त में शिक्षण जारी रखेंगे।
वीसी लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थेटिक यूनिट द्वारा किए जा रहे काम की सराहना की और कहा कि यूनिट की उन्नति की योजना बनाई जा रही है।

Editor In Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button