अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की वापसी के बाद से इस बात को लेकर डर बना हुआ है कि भारत पर हमले के लिए आतंकियों को यहां पर शरण मिल सकती है. वहीं, ये डर सच साबित होते हुए भी नजर आ रहा है. दरअसल, एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से इस बात की जानकारी मिली है कि अफगानिस्तान में आतंकी गठजोड़ का एक नया नेटवर्क बन रहा है. इसका नाम ‘तहरीक-ए-तालिबान अमीरात’ (TTA) है. ये आतंकी संगठन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और हक्कानी नेटवर्क (Haqqani network) के साथ मिलकर काम करने वाला है.
हाल के दिनों में जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) सबसे ताकतवर आतंकवादी संगठन के रूप में उभरा है. वहीं, जैश के मुखिया मसूद अजहर (Masood Azhar) और मोहम्मद इब्राहिम अजहर को अफगान ऑपरेशन तालमेल का मुखिया बनाया गया है. दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद की योजना आतंकियों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग देने की है. वह अपने ट्रेंड आतंकियों के जरिए तालिबान के दूसरे नए कैडरों को ट्रेनिंग देने में मदद करेगा. इस बात की जानकारी मिली है कि जैश-ए-मोहम्मद के अनेक सीनियर आतंकियों को अफगानिस्तान ऑपरेशन के तहत भेजा गया है.
हक्कानी नेटवर्क को तालिबान सरकार में मिल सकती है जगह
गौरतलब है कि इस बात की भी जानकारी मिली है कि हक्कानी नेटवर्क के इस्लामिक स्टेट के साथ भी संबंध हैं. ऐसे में हक्कानी नेटवर्क की वजह से भारत को चिंता में होना चाहिए. बताया गया है कि अफगानिस्तान में सरकार गठित करने की कवायद तेज है और इसमें हक्कानी नेटवर्क को भी जगह मिल सकती है. हक्कानी नेटवर्क ने कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है. इसमें आम नागरिकों से लेकर विदेशी जवानों को जान गंवानी पड़ी है. हालांकि, इन सबके बाद भी हक्कानी नेटवर्क तालिबान सरकार में बड़ा पावरफुल प्लेयर बनकर उभर सकता है. इसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI संग भी रिश्ते हैं.
पाकिस्तानी आतंकी अफगानिस्तान में ले सकते हैं ट्रेनिंग
इस बात का पहले से अंदेशा था कि तालिबान की वापसी भारत समेत पूरे उपमहाद्वीप के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है. दरअसल, पाकिस्तान के भी तालिबान के साथ संबंध हैं और वो इसे भारत के खिलाफ कार्रवाइयों के लिए भुनाने की कोशिश करेगा. वहीं, इस बात का भी डर है कि पाकिस्तान की जमीन पर पलने वाले आतंकी अब अफगानिस्तान में जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं. हालांकि, तालिबान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान की जमीन को आतंक के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा और जल्द ही इस्लामिक स्टेट के हमलों पर नकेल कसी जाएगी.