योगी मंत्रिमंडल में जल्द होगा विस्तार, जितिन प्रसाद और संजय निषाद के नाम पर लगी मुहर, इन नामों की भी है चर्चा
देश के सबसे बड़े सियासी सूबे यूपी में जल्द मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. खबर है कि योगी सरकार सितंबर के पहले हफ्ते में मंत्रिमंडल विस्तार करेगी, जिसमें जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन के मुताबिक 6-7 मंत्री शामिल हो सकते हैं. यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार का होना तय हो गया है, जिसका फैसला पिछले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर हुई बैठक में तय हो गया था. इस बैठक में अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बंसल शामिल हुए थे. इसमें जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का ख़याल रखा गया है.
ये बनाए जा सकते हैं मंत्री
जाट समुदाय से मंजु सीवास जो मोदीनगर विधानसभा से हैं और पेशे से डॉक्टर हैं. इसी समुदाय से सहेंद्र रमाला के नाम की भी चर्चा है जो छपरौली से विधायक हैं, वह RLD से बीजेपी में 2018 में आए थे.
गुर्जर बिरादरी से सोमेंद्र गुर्जर मेरठ से पहली बार विधायक बने और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से बीजेपी में आए उन्हें भी अब मंत्री बनाया जा सकता है. इसी वर्ग से तेजपाल नागर जो दादरी से विधायक और पेशे से शिक्षक हैं के नाम पर भी विचार किया जा रहा है. कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद मंत्री बनाए जा सकते हैं. इसके पहले इन्हें एमएलसी मनोनीत किया जाएगा. ब्राह्मण समीकरण के तौर पर जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.
इसी तरह निषाद वोट बैंक के मद्देनजर संजय निषाद को पहले एमएलसी और मंत्री बनाया जाएगा. हालाँकि इसी वर्ग से संगीता बलवंत बिंद जो गाजीपुर सदर से विधायक हैं उनके नाम पर भी विचार किया जा रहा है.
कुर्मी पटेल बिरादरी और सहयोगी दल अपना दल के MLC आशीष पटेल मंत्री बनाए जा सकते हैं. हालाँकि इसी बिरादरी के एमपी सेंथवार के नाम पर भी विचार किया जा रहा है जो पिपराइच से विधायक हैं. जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की थी.
अनुसूचित जाति से ये बन सकते हैं मंत्री
इसी तरह अनुसूचित जाति से अपना दल के विधायक राहुल कोल को मंत्री बनाया जा सकता है. छानबे विधानसभा से वह पहली बार विधायक चुने गए हैं. संजय गोंड जो सोनभद्र के ओबरा से विधायक हैं, अपनी सादगी के लिए चर्चित हैं, इनके नाम पर भी विचार किया जा रहा है. साथ ही रवि सोनकर जो बस्ती ज़िले की महादेवा सीट से विधायक हैं, जिनके पिता कल्पनाथ सोनकर 1989-1991 विधायक रह चुके हैं. अनुसूचित जाति के कोटे से इनके नाम पर भी चर्चा है. इसी कड़ी में बंबा लाल दिवाकर जो उन्नाव के सफीपुर से विधायक हैं, उनका नाम भी संभावित लिस्ट में शामिल है.
दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है
देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश का राजनितिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री समेत केंद्र सरकार के कई बड़े मंत्री यूपी से ही ताल्लुक रखते हैं. देश की सियासत में इसी वजह से कहा जाता है की दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर गुजरता है. उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव कुछ महीने बाद ही होने वाले हैं. ऐसे में सूबे के मंत्रिमंडल में विस्तार होने जा रहा है. सरकार बनने के बाद दूसरा और आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार 22 अगस्त 2019 को किया गया था. तब योगी सरकार में मंत्रियों की संख्या 56 थी. पहले कोरोना काल में दो मंत्रियों चेतन चौहान और कमलारानी वरुण का निधन हो गया, जबकि कोरोना की दूसरी लहर में राज्यमंत्री विजय कुमार कश्यप की मौत हो गई, जिसके बाद मंत्रियों की संख्या 53 हो गई, जबकि मंत्रिमंडल में 60 मंत्री हो सकते हैं.
यूपी में कितने मंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमण्डल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, जबकि 21 राज्य मंत्री हैं. इस तरह से योगी सरकार कुल मंत्रियों की संख्या 53 है. जबकि 60 मंत्री यूपी में हो सकते हैं. इस तरह से 7 मंत्री बनाये जा सकते हैं.