योगी के मिशन शक्ति का अपमान, सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी को प्रमोशन और सम्मान
सहकर्मी से सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी व आजम खान के दुलारे रहे डीपीओ जफर खान पर बरस रही है बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की कृपा
- सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी को बचाने के लिए विशाखा समिति की रिपोर्ट तक ठंडे बस्ते में डाल दी गई। विशाखा समिति की रिपोर्ट में पीड़िता के आरोप को सही पाया गया था
- 1 जून 2020 को निदेशालय ने पीड़िता का लिखित बयान लिया था उसे भी आरोपी के चहेतों ने हजम कर लिया
- बयान के नाम पर निदेशालय फिर समिति और थानों तक चार चार घंटे बैठा कर पीड़िता का मानसिक उत्पीड़न किया गया
- सेक्सुअल हरासमेंट जैसे संगीन आरोपो से घिरे होने के बावजूद इस अधिकारी को प्रमोशन तक दे दिया
- सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी को पहले सौंप दी नारी सुरक्षा व महिला सम्मान की कमान और अब दे दिया प्रमोशन
- डीपीओ जफर खान का अलीगढ में अपने आंगनबाड़ी महिला कर्मचारी से शोषण के आरोप में कानपुर हुआ था तबादला
- हमेशा जांच की आंच से दूर रखकर सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी जफर खान को अफसरों ने दिलवाई शानदार पोस्टिंग
- सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी अफसर का वेतन भी कानपुर से जाता रहा और तो और लखनऊ निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर
- मिशन शक्ति बनाये जाने के बाद भी कानपुर नगर का डीडी पावर इस आरोपी अफसर के पास ही रहा
- पीड़िता अफसर को जफर खान के चहेतों ने सात महीने जबरन अवकाश पर रखा वेतन तक रुकवाया फिर उसका तबादला
कानपुर/लखनऊ। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर न सिर्फ सख्त हैं बल्कि संवेदनशील हैं वहीं उनके अफसर ऐसे लोगों के संरक्षक बने हुए हैं जिनके कारनामे योगी सरकार के अच्छे कामों पर पानी फेर रहे हैं। लोकप्रियता के लगातार नये सोपान चढ़ रहे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को बदनाम करने की साजिश आखिर कौन रच रहा है। कौन है जो सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी पर अपनी मेहरबानी बरसा रहा है। हाथरस, बलरामपुर व रायबरेली जैसी घटनाओं और हाल ही में रेप कांड फंसे सांसद अतुल राय को बचाने वाले पूर्व आईपीएस पर मुख्यमंत्री के सख्त तेवर भी ऐसे अफसरों और उनके आकाओं पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।
बाल विकास पुष्टाहार विभाग सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी व आजम खान के दुलारे अफसर पर इतना मेहरबान क्यों है मुख्यमंत्री के सख्त तेवरों की आंच से ये सवाल उबल रहा है। अंदर खाने के सूत्र बताते हैं कि सरकार को बदनाम करने की साजिश के तहत ही ऐसे अफसरों को आगे बढाया जा रहा है। कानपुर में अपनी सहकर्मी अधिकारी के साथ सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी जफर खान को बचाने में पहले अफसरों ने दिन रात एक कर दिया फिर उसे मिशन शक्ति की कमान सौंप दी और अब बाल विकास मंत्रालय को गुमराह कर प्रमोशन भी पाने वाले इस अफसर की करतूतों से परदा उठने को है।
विशाखा समिति की रिपोर्ट भी पीड़िता के आरोप को सही बता रही है। और विशाखा समिति की रिपोर्ट को न सिर्फ ठंडे बस्ते में डाला बल्कि पीड़िता को सात महीने बिना वेतन के घर बैठा कर प्रताड़ित करने की साजिश रची गई। पीड़िता ने इसके बाद भी हार नहीं मानी तो उसका तबादला कानपुर से 250 किलोमीटर दूर गोंडा करा दिया गया। गौरतलब ये है कि सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी अफसर को कानपुर से सिर्फ मुख्यालय अटैच किया गया बाकी वह राजधानी से बैठकर प्रभारी डीपीओ इन्द्रपाल के सहारे कानपुर में अपनी मनमानी करता रहा। निदेशालयों के आकाओं की मेहरबानी का आलम ये कि आरोपी का वेतन भी कानपुर से जाता रहा। और तो और निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर मिशन शक्ति बनाये जाने के बाद भी कानपुर नगर का डीडी पावर सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपी जफर के ही हाथ मे था।
आपको बताते चलें कि छेड़छाड़ जैसे संगीन आरोप के बाद भी आरोपी जफर 25 दिन तक अपनी कुर्सी पर जमा रहा और घटना के साक्ष्यों व जांच को प्रभावित करता रहा। एक जून 2020 को निदेशालय की ओर से नीलम सचान की अध्यक्षता सदस्य कमलेश गुप्ता की गठित टीम ने पीड़िता से लिखित बयान लिया था उसे भी दबा दिया गया। आरोपी को राजधानी में मुख्यालय से अटैच कर दिया गया लेकिन उसे मिशन शक्ति का इंचार्ज बना दिया गया। और तो और पीड़ित अधिकारी को उससे रिपोर्ट तक करने को कहा गया।
हमेशा अखबार की सुर्खियों में रहे हैं जफर के कारनामे
अखिलेश सरकार में आजम खान के दुलारे रहे आरोपी कानपुर के पूर्व डीपीओ जफर खान के खिलाफ अलीगढ में तैनाती के दौरान महिला सहयोगी के शोषण का आरोप लगा था जिसके चलते आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने अलीगढ में जोरदार प्रदर्शन किया था। अलीगढ के अखबार जफर खान की करतूतों से जब रंगे जाने लगे तब इसे हटाकर कानपुर लाया गया। यहां भी उसने अपनी गंदे इरादे जता दिये। जफर खान ने तीन सालों में बाल विकास परियोजना अधिकारी अनामिका सिंह को लगातार परेशान किया और 18 मई 2020 को मौका पाकर इस महिला अफसर की अस्मिता को तार तार करने का प्रयास किया। आजम खान के दुलारे इस अफसर की योगी सरकार में मजबूत सेटिंग के चलते एक साल बाद भी बाद भी एफआईआर तक नहीं लिखी गई।
सेक्सुअल हरासमेंट के आरोप की जांच के लिए बनी विशाखा कमेटी की धज्जियां उड़ाते हुए ये अफसर 25 दिन वहां डटा रहा और साक्ष्यों को प्रभावित करता रहा। इतना ही नहीं छेड़छाड़ प्रकरण में बनी विशाखा समिति में भी आरोपी अफसर के ही सिफारिशी रखे गये। पीड़ित के आरोपों को सही बताने वाली विशाखा कमेटी की जांच रिपोर्ट अब ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।