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अयोध्या में तीन दिवसीय नंदीग्राम महोत्सव आज से शुरू, जानें क्यों खास है नंदीग्राम

अयोध्या में तीन दिवसीय नंदीग्राम महोत्सव आज से शुरू हो गया. यह महोत्सव 31 अगस्त तक चलेगा इस दौरान नंदीग्राम को पर्यटन के रूप में विकसित करने और उसकी खोई पहचान दिलाने के लिए कोशिश की जाएगी. आपको बता दें कि नंदीग्राम अयोध्या की 14 सालों तक राजधानी यही नंदीग्राम रही. नंदीग्राम वही जगह है जहां राम लक्ष्मण जब 14 साल के लिए बन गए थे. तब भरत ने यही रह कर अयोध्या का राज पाठ चलाया था. दूसरे शब्दों में हम कहे तो इन 14 सालों में नंदीग्राम ही अयोध्या की राजधानी रही.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास कहते हैं कि नंदीग्राम कि हमेशा उपेक्षा होती रही इसलिए वह और उनके लोग नंदीग्राम को उसकी पहचान वापस दिलाने और उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और नंदीग्राम महोत्सव इसी की एक कड़ी है.

कमल नयन दास कहते हैं, ”जहां भी हिंदू जाता है जब भी अयोध्या तीर्थ यात्रा करने के लिए आता है तो अयोध्या के साथ-साथ उसे नंदीग्राम आना पड़ता है, लेकिन आज तक शासन प्रशासन के द्वारा नंदीग्राम की उपेक्षा होती रही. कोई भी यात्री आता है अगर रुकना भी चाहे तो आज तक कोई व्यवस्था नंदीग्राम में नहीं की गई. हमारा प्रयास है पर्यटन की दृष्टि से हम नंदीग्राम का विकास करेंगे इसके लिए हमने कई बार मुख्यमंत्री जी से बात की है. कई लोगों से भी बात की है. हम भी इसके लिए प्रयास में लगे हैं. मुख्यमंत्री जी ने हमें वचन दिया है कि सब प्रकार से इस का विकास होगा.”

नंदीग्राम प्रतीक है भाई के प्रति भाई का. दीग्राम प्रतीक है त्याग और समर्पण का. नंदीग्राम प्रतीक है सामाजिक ताने-बाने का. नंदीग्राम प्रतीक है राष्ट्र निर्माण का. क्योंकि इसी नंदीग्राम में सारी सुख सुविधाओं से दूर राम की खड़ाऊ रखकर भ्राता भरत ने 14 साल तक अयोध्या का राज काज संभाला और कभी अपने आप को राजा नहीं माना बल्कि भाई राम का प्रतिनिधि माना. इसीलिए यह स्थान अपने आप में एक तीर्थ है और समाज और देश के लिए सीख भी.

कमल नयन दास ने कहा, ”नंदीग्राम यह वही स्थल है जहां पर प्रेम मूर्ति भरत जी महाराज ने भाई के वियोग में 14 वर्षों तक गोमूत्र में बनाया हुआ भोजन खाकर तपस्या किया था. राजा तपस्वी होता है. राजा त्यागी होता है तो प्रजा सुखी होती है. राजा भोगी होता है तो प्रजा दुखी होती है. हमारा लक्ष्य है भगवान राम जी की आदर्श चरित्र प्रेम मूर्ति भरत जी के चरित्र को जन-जन तक पहुंचाना. जिस प्रकार से आज विघटनकारी शक्तियां हावी होती चली जा रही हैं. घर और परिवार में प्रेम नहीं लेकिन भगवान राम का आदर्श एक भाई दूसरे भाई के लिए त्याग इसलिए हमारा कर्तव्य होता है. हम प्रेम मूर्ति भरत महाराज के आदर्श चरित्र को जन-जन तक पहुंचाएं जिससे परिवार सुखी हो तब आ चुकी हो और राष्ट्र सुखी हो.”

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