उत्तर प्रदेशलखनऊ

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव हारने के बाद वाराणसी को पलटकर नहीं देखा

लखनऊ। आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में राजनीतिक जिज्ञासा से प्रवेश किया था। तभी केजरीवाल 50 लाख 10 हजार रुपये खर्च कर वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लोकसभा चुनाव हार गये थे। चुनाव के दौरान केजरीवाल अपने चुनावी वायदे भूल गये थे और चुनाव हारने के बाद आज तक पलट कर वाराणसी की ओर नहीं देखा। उत्तर प्रदेश में अरविन्द केजरीवाल का दूसरी बार प्रवेश होने जा रहा है। दिल्ली में मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविन्द केजरीवाल की व्यस्तता ही है, जो उन्हें यहां वापस नहीं ला सकी। विधानसभा चुनाव 2022 में उत्तर प्रदेश में दूसरे या तिसरे स्थान को प्राप्त करने के लिए केजरीवाल अपने राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी को मैदान में उतारने की तैयारी में है। पार्टी नेता संजय सिंह को पहले से सक्रिय किया हुआ है और अयोध्या में दर्शन पूजन कर राजनीतिक माहौल भी गरम कर चुके हैं।

अरविन्द केजरीवाल अपने दल के साथ उत्तर प्रदेश में 29 नवम्बर को एक रैली के माध्यम से प्रवेश करेंगे। रैली में पार्टी की रोजगार को लेकर बड़ी घोषणाएं और चुनावी वायदों की झड़ी लगने वाले है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द सार्वजनिक रुप से उत्तर प्रदेश में सात वर्ष बाद खुले मंच पर दिखायी पड़ेंगे। जिसके फलस्वरुप विधानसभा में टिकट मांगने वाले चेहरों में बढ़ोत्तरी होगी। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर दी है। जो यह बताती है कि चुनाव मैदान में पार्टी ने पहले से ही प्रवेश कर लिया है। वाराणसी में 2014 चुनावी माहौल में अरविन्द केजरीवाल अपने वायदों में जो बाते कही थी, उसे वह दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद भूल गये थे। वाराणसी से दिल्ली में उनसे मिलने गये नेताओं से मिलने और कार्यकर्ताओं के साथ बैठने में भी उन्होंने रुचि नहीं दिखायी थी। इसके कारण बाद में केजरीवाल के लिए चुनाव प्रचार कर रहे कई चेहरों ने उनसे दूरी बना ली थी।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 की वस्तुत: स्थिति में रोजगार देने, महिलाओं को सुरक्षा देने, महिलाओं को टिकट देने जैसे वायदे आम आदमी पार्टी ने पहले ही कर दिया है। ऐसे में अरविन्द केजरीवाल की लखनऊ के रमाबाई मैदान में होने वाली रोजगार गारंटी रैली को पार्टी के शक्ति प्रदर्शन से जोड़ कर देखा जा रहा है। जिसके लिए प्रदेश प्रभारी संजय सिंह के कंधे पर खासा जिम्मेदारी है। यूपी चुनाव के प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह रैली के लिए सक्रिय रुप से जनपदों में संयोजकों से वार्ता कर रहे हैं। बीते दिनों एक प्रेस वार्ता में पेट्रोल-डीजल के कम होने के बाद भी संजय सिंह महंगाई पर निशाना साधते हुए मिले तो दिल्ली में पेट्रोल डीजल के बढ़े मूल्य के प्रश्न पर कुछ भी बोल ना सके।

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