केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ‘कान के नीचे थप्पड़ लगाने’ वाला बयान का बवाल इतना बढ़ा की उसके अंजाम में राणे की गिरफ्तारी हो गई. गिरफ्तारी के बाद संगमेश्वर पुलिस स्टेशन से नारायण राणे को महाड के एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में लाया गया. इसके बाद उन्हेंं कोर्ट में मजिस्ट्रेड के सामने पेश किया गया. रायगढ़ न्याया दंडाधिकारी (Judicial Magistrate) के सामने रात 9 बज कर 50 मिनट में नारायण राणे की जमानत पर सुनवाई शुरू हुई. फिलहाल सुनवाई शुरू है.
नारायण राणे के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 और 505 के तहत केस दर्ज किया गया. नासिक पुलिस आयुक्त के आदेश पर गिरफ्तारी हुई . नासिक पुलिस और पुणे पुलिस दोनों की पहल पर गिरफ्तारी हुई . कुल 36 जगहों पर राणे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मंगलवार शाम को उन्हें रत्नागिरि पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर उन्हें संगमेश्वर पुलिस स्टेशन लाया गया. यहां महाड पुलिस नारायण राणे को लेकर महाड के लिए निकली. महाड पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया.
गिरफ्तारी के बाद राणे को संगमेश्वर से महाड लाया गया
दरअसल राणे ने मुख्यमंत्री पर बयान महाड के जन आशीर्वाद यात्रा के वक्त पत्रकार परिषद में दिया था. इसलिए कायदे से महाड पुलिस ही नारायण राणे को कोर्ट में पेश करेगी. इसलिए महाड पुलिस राणे को लेकर संगमेश्वर पुलिस स्टेशन से महाड एमआईडीसी पुलिस स्टेशन पहुंची. ठीक साढ़े आठ बजे पुलिस महाड पहुंची अब कल (बुधवार) को रायगढ़ सेशन कोर्ट में उन्हें पेश किया जाना है.
गिरफ्तारी के बाद राणे की पहली प्रतिक्रिया
नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. एक न्यूज चैनल से बात करते हुए राणे ने अपनी गिरफ्तारी की पूरी कहानी खुद बयान की है. नारायण राणे ने बताया है कि जब उनकी गिरफ्तारी हुई तो उनके साथ क्या-क्या हुआ. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भी बयान दिया. उन्होंने उद्धव ठाकरे के बारे में कहा, ” उद्धव ठाकरे को जो करना है करने दो. मुझे जो करना है वो मैं करूंगा.” आगे उद्धव ठाकरे का जिक्र किए जाने पर उन्होंने कहा, ” वे हमेशा मुख्यमंत्री नहीं रहने वाले हैं. अगर वे कानून का इसी तरह से गलत इस्तेमाल करते रहे तो हम भी राजनीति में हैं. हमारा टाइम भी आएगा.”
गिरफ्तारी के वक़्त क्या हुआ, राणे ने बताया
नारायण राणे ने खुद बताया कि गिरफ्तारी के वक्त उनके साथ क्या हुआ. राणे ने कहा, “गोलवली के पास गोलवलकर गुरूजी स्मृति संस्था में बैठकर मैं दोपहर तीन, सवा तीन बजे खाना खा रहा था. तभी अचानक वहां डीसीपी आए. उन्होंने मुझसे कहा कि वे मुझे गिरफ्तार करने आए हैं. मैंने उनसे नोटिस दिखाने को कहा. उनके पास कोई नोटिस वगैरह नहीं था. उन्होंने मुझे वहां जबर्दस्ती अरेस्ट कर लिया और मुझे वे संगमेश्वर पुलिस थाने में ले आए. इसके बाद वे एक रूम में गए और दो घंटे तक बाहर नहीं आए. मुझे उनके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे. बाद में कुछ और अधिकारी आए और वे मुझे कोंकण के महाड में ले जाने लगे”