पैसे की बर्बादी रोकने के लिए तालिबान ने रद्द किया शपथ ग्रहण समारोह, देश में कैश की भारी कमी, पहले बड़े आयोजन की थी योजना
तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार के गठन के बाद 9/11 हमले की बरसी पर शपथ ग्रहण समारोह करने का फैसला लिया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया (Taliban Latest News). अब इसके पीछे की वजह सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने ये फैसला पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए लिया है. इस समय अफगानिस्तान में कैश की भारी कमी देखने को मिल रही है. इससे पहले कहा गया था कि तालिबान ने ये फैसला अपने सहयोगियों के दबाव में आकर लिया है.
संगठन की योजना 11 सितंबर वाले दिन यानी आज शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने की थी. ये वही दिन है, जब 2001 में अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था (9/11 Attack on US). तालिबान ने इस समारोह में शामिल होने के लिए चीन, तुर्की, पाकिस्तान, ईरान, कतर और रूस को आमंत्रित किया था. शुक्रवार को रूस की तरफ से कहा गया कि वह अफगानिस्तान में होने वाले तालिबान सरकार के शपथ समारोह में हिस्सा नहीं लेगा. वहीं रूसी संसद के उच्च सदन के सदस्य ने बीते हफ्ते कहा था कि समारोह में रूस का प्रतिनिधित्व राजदूत स्तर के अधिकारी करेंगे.
बिना शपथ काम कर रहा कैबिनेट
तालिबानी सरकार के संस्कृति आयोग के सदस्य इनामुल्लाह समागनी ने ट्वीट कर कहा, ‘अफगान सरकार के शपथ समारोह को कुछ दिन पहले ही रद्द कर दिया गया था. लोगों को भ्रमित होने से बचाने के लिए इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व ने कैबिनेट की घोषणा की और ये कैबिनेट पहले से ही काम करना शुरू कर चुका है.’ समारोह को ऐसे समय में रद्द किया गया है, जब तालिबान और हक्कानी नेटवर्क (Taliban Haqqani Network Government) के बीच लड़ाई की खबरें आ रही हैं. अंतरिम सरकार में तालिबान ने हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को शामिल किया है. उसने मंगलवार को तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा के नेतृत्व में सरकार गठन का ऐलान किया था.
पाकिस्तान के कारण हुई लड़ाई
तालिबानी नेता का एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ फैज हमीद (Pakistan ISI Chief Kabul Visit) के कारण अफगानिस्तान का भविष्य तबाह हो गया है और दूसरी लड़ाई की नौबत आ गई है. हमीद बीते दिनों काबुल के दौर पर गए थे, ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने तालिबान के सामने हक्कानी और क्वेटा शूरा के आतंकियों के नाम का प्रस्ताव रखा. उनके कारण ही तालिबान के भीतर कलह हुआ और संगठन के भीतर अब कई परेशानियां बनी हुई हैं. बता दें पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क का करीबी माना जाता है और इसी के प्रमुख और वैश्विक आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान ने गृह मंत्री बनाया है.