Kabul Airport Blast- गुस्साए अमेरिका ने ISIS-K से लिया काबुल ब्लास्ट का बदला, ड्रोन स्ट्राइक में मार गिराया साजिशकर्ता
अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट के पास आत्मघाती बम धमाकों के बाद अमेरिका ने 48 घंटों के भीतर इस्लामिक स्टेट समूह (ISIS-K) के खिलाफ ड्रोन स्ट्राइक की है. अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने दावा किया है कि काबुल हमले के साजिशकर्ता के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है और टारगेट को ढेर कर दिया गया है. दो दिन पहले काबुल एयरपोर्ट के पास हुए हमलों में अमेरिका के 13 सैनिक समेत कम से कम 169 लोग मारे गए थे.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक अमेरिका ने नागरिकों से कहा है कि वे काबुल एयरपोर्ट के गेट को जल्द से जल्द खाली कर दें. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने यह एयरस्ट्राइक अफगानिस्तान के नांगरहार में की है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया था और हमले में मारे गए लागों की जान का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा था, ‘‘हम तुम्हें (हमलावरों को) पकड़कर इसकी सजा देंगे.’’ बाइडन ने गुरुवार को वाइट हाउस में पत्रकारों से कहा था, “इस हमले को अंजाम देने वाले और अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वाले ध्यान रखें कि हम तुम्हें बख्शेंगे नहीं. हम यह भूलेंगे नहीं. हम तुम्हें पकड़कर इसकी सजा देंगे. मैं अपने देश के हितों और लोगों की रक्षा करूंगा…”
ISIS-K ने काबुल एयरपोर्ट के पास हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत को ISIS-K, आईएसकेपी और आईएसके के नाम से भी जाना जाता है. यह अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट आंदोलन से आधिकारिक रूप से संबद्ध है. इसे इराक और सीरिया में सक्रिय इस्लामिक स्टेट के मूल नेतृत्व से मान्यता मिली हुई है.
काबुल में एक और आतंकी हमले की आशंका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के नेशनल सिक्यॉरिटी टीम ने राष्ट्रपति को सूचित किया है कि काबुल में एक और आतंकी हमला होने की आशंका है और अफगानिस्तान की राजधानी में एयरपोर्ट पर सुरक्षा के सर्वोच्च उपाय किए जा रहे हैं.
वाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकियों और वहां से निकलने के इच्छुक अफगानों के निकासी अभियान के अगले कुछ दिन अब तक के सबसे जोखिम भरे दिन होंगे. काबुल एयरपोर्ट के पास ब्लास्ट में 13 सैनिकों के मारे जाने के बाद अमेरिका ने कहा था कि अगस्त 2011 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में एक है.