मुंबई : संसद के 19 जुलाई से शरू हो रहे आगामी सत्र में महंगाई और ईंधन की कीमतों में वृद्धि का मसला छाये रहने का जिक्र करते हुये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ईंधन कर के रूप में 25 लाख करोड़ रुपये एकत्र कर चुकी है लेकिन इस कोष का इस्तेमाल न तो लोगों के कल्याण के लिये हो रहा है और न ही राज्य सरकारों को दिया जा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि ईंधन, एलपीजी, और खाद्य तेलों की कीमतें सर्वकालिक उच्च स्तर पर है. केंद्र सरकार ने ईंधन पर 25 लाख करोड़ रुपये कर के रूप में वसूल किया है लेकिन न तो इस कोष को लोगों के कल्याण के लिये खर्च किया जा रहा है और न ही राज्य सरकारों को दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ईंधन की कीमतों में 326 बार बढोत्तरी की है जिसमें से पिछले दो महीनों में 38 बार ये बढ़ायी गयी हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान ईंधन पर केंद्रीय कर 9.48 रुपया प्रति लीटर था जो अब बढ़ कर 32.90 रुपया हो गया है. संप्रग के शासनकाल के दौरान कच्चे तेल की कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल थी और तब देश में पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर थी. अब कच्चे तेल की कीमत 44 डॉलर प्रति बैरल है तो पेट्रोल की कीमत 107 रुपये प्रति लीटर है.
उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने ईंधन कर के रूप में 25 लाख करोड़ रुपये एकत्र किया है और घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 834 रुपये हो गयी है और इस पर मिलने वाली सब्सिडी भी वापस ले ली गयी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि डीबीटी योजना के तहत 15 हजार करोड़ रुपये की बचत हुयी और इसका मतलब है कि सरकार ने इस तरीके से करीब एक लाख करोड़ रुपये की बचत की है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान 1.33 लाख लोगों की नौकरी चली गयी और प्रति व्यक्ति आय में दस हजार रुपये की गिरावट आ गयी. उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में नौ से दस फीसदी की गिरावट आयी है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को केंद्र से जीएसटी का 32 हजार करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिल पाया है.