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जम्मू-कश्मीर में जैश की आतंकी साजिश! तालिबान नेताओं से मिलकर मौलाना मसूद अजहर ने मांगी मदद- सूत्र

पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने अगस्त के तीसरे हफ्ते में कंधार में तालिबानी नेताओं से मुलाकात की थी. एक समाचार वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद मसूद अजहर ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए समर्थन की मांग की थी. अजहर ने राजनीतिक आयोग के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादार समेत कई तालिबानी नेताओं से मुलाकात की थी.

इससे पहले मसूद अजहर अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर खुशी जताई थी. 16 अगस्त को अपने एक लेख ‘मंजिल की तरफ’ में जैश सरगना ने अफगानिस्तान में मुजाहिदीन की सफलता की प्रशंसा की थी. पाकिस्तान में बहावलपुर स्थित अपने मरकज में जेईएम सदस्यों के बीच तालिबान की इस जीत को लेकर मैसेज भी प्रचारित किया जा रहा है.

तालिबान और जैश-ए-मोहम्मद दोनों को शरिया कानून को लागू करने में वैचारिक साथी माना जाता है. 1999 में रिहा होने के बाद मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रहा है. दिसंबर, 1999 में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को अगवा कर अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था और उसे पूरे सप्ताह बंधक बनाकर रखा गया था. बंधकों को छोडने के बदले में भारतीय जेल से मसूद अजहर समेत दूसरे आतंकियों को रिहा किया गया था.

IC-814 उड़ान, 179 यात्रियों और चालक दल के 11 सदस्यों को लेकर 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से नई दिल्ली आ रही थी लेकिन उसे पाकिस्तानी आतंकवादियो ने अगवा कर लिया और वे उसे तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार ले गए थे. इसके बाद अपहरणकर्ता 31 दिसंबर को भारतीय जेलों से आतंकवादियों- मसूद अजहर, सैयद उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा कराने में कामयाब हो गए थे.

आतंक के लिए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देंगे- तालिबान

अफगानिस्ता पर तालिबान के कब्जे पर आशंका जताई जा रही है कि उसके जैश-ए-मोहम्मद के साथ पिछले संबंधों के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि तालिबान ने हाल ही में कहा था कि किसी देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं होने देंगे.

तालिबान के प्रवक्ता जुबिउल्लाह मुजाहिद ने शुक्रवार को कहा कि संगठन भारत समेत सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है. उन्होंने संकल्प लिया कि अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं करने दिया जाएगा. मुजाहिद ने यह भी कहा कि समूह जिसके हाथ में अब अफगानिस्तान की बागडोर है वह भारत को क्षेत्र में एक अहम हिस्सा मानता है.

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