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कैबिनेट ने टेक्सटाइल सेक्टर के लिए PLI स्कीम को मंजूरी दे दी है. यह स्कीम मानव निर्मित फाइबर सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए है. मैनमेड फाइबर अपेरल के लिए 7,000 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है और करीब 4,000 करोड़ रुपए टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए आवंटित गया है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इस फैसले से 7 लाख लोगों के लिए नौकरी के अवसर बनेंगे. साथ ही निर्यात में भी तेजी आएगी. भारत के कपड़ा निर्यात में मैन मेड फाइबर यानी MMF का योगदान महज 20 फीसदी है.
टेक्सटाइल कंपनियां साल-दर-साल अपना उत्पादन में जितना बढ़ोतरी करेंगी, उस बढ़ोतरी के आधार पर सरकार इनको इंसेंटिव देगी. भारत के कपड़ा उद्योग की बात करें तो वर्तमान में कॉटन का योगदान 80 फीसदी और MMF का योगदान महज 20 फीसदी है. दुनिया के अन्य देश इस मामले में हमसे काफी आगे हैं. ऐसे में इस सेगमेंट और सेक्टर को प्रमोट करने की जरूरत है. पीएलआई स्कीम एक मजबूत कदम होगा.
क्या है पीएलआई स्कीम
केंद्र सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम की शुरुआत की है. इसके जरिए कंपनियों को भारत में अपनी यूनिट लगाने और एक्सपोर्ट करने पर विशेष रियायत के साथ-साथ वित्तीय सहायता भी दी जाती है. पीएलआई स्कीम की मदद से ग्लोबल इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जा रहा है. इससे रोजगार के अवसर पैदा हो रहे है.
अब क्या होगा
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि आज वस्त्र उद्योग के साथ जुड़ी PLI को मंजूरी मिली है. देश में सबसे अधिक रोजगार वस्त्र उद्योग देता है, इसके साथ ही इस सेक्टर का प्राचीन काल से ही हमारी अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रहा है.
आज अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का दो तिहाई बाजार Man Made Textile और Technical Textile का है, ऐसे में भारत भी फेब्रिक, गारमेंट्स सहित पूरे इकोसिस्टम में अपना योगदान दे, उसके लिये PLI योजना को स्वीकृति दी गयी है.
भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के मकसद से अब तक 13 सेक्टर के लिए PLI स्कीम की ऐलान हो चुका है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब कपड़ा मंत्रालय इस स्कीम को लेकर डिटेल्ड गाइडलाइन जारी करेगा.
इस स्कीम को लागू करने का मकसद है कि भारतीय कपड़ा उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले, जिससे निर्यात में भी तेजी आएगी.
इस स्कीम की मदद से कपड़ा उद्योग के लिए मजबूत इकोसिस्टम तैयार करना है, जहां वे ग्लोबल मार्केट में भी मुकाबला किया जा सके. इसके अलावा यह सेक्टर बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा करता है, जिसकी अभी सबसे ज्यादा जरूरत है.
किसे और कैसे होगा फायदा
पीयूष गोयल ने बताया कि 10,683 करोड़ रुपये इंसेंटिव के रूप में प्रोडक्शन के ऊपर दिये जायेंगे. इस से हमारी कंपनियां ग्लोबल चैंपियन बनेंगी. जो कंपनियां टियर 3 या टियर 4 शहरों के पास हैं, उन्हें अधिक प्राथमिकता मिलेगी, साथ ही कितना रोजगार सृजन होगा, इस पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा. इस योजना का सीधा लाभ गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों को होगा. इससे करीब 7 लाख लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बनेंगे.