मछली पालन के लिए बेहद जरूरी है पानी को समझना, जानिए इससे जुड़ी हर बात
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मछली पालन आमदनी का एक बेहतर जरिया हो सकता है पर इसके लिए जरूरी है कि किसान अच्छे तरह से सभी चीजों का ख्याल रखें. इसके साथ ही मछली पालन के लिए पानी सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए मछली पालन के लिए पानी की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि अगर पानी सही नहीं रहेगा तो मछलियों का ग्रोथ सही नहीं होगा, मछलियां मर भी सकती हैं. खासकर बारिश के मौसम में तो पानी ख्याल रखना बेहद जरूरी हो जाता है. क्योंकि इस मौसम में पानी बहकर तालाब में आता है, जिसमें गंदगी होती है. ऐसे में यह ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है कि पानी खराब ना हो प्रदूषित नहीं हो. बारिश के मौसम में पानी की गुणवत्ता का ख्याल कैसे रखें इसके बारे में बताया है मत्स्य वैज्ञानिक और कृषि अनुसंधान केंद्र मोतीपुर के प्रभारी डॉ अकलाकुर ने.
डॉ अकलाकुर ने बताया की तालाब में या जहां भी मछली पालन हो रहा है वहां पर पानी की गुणवत्ता को सही रखना बेहद अहम हो जाता है. उन्होंने कहा की पानी की गुणवत्ता के लिए सात मानक तय किये गये जो बेहद अहम होता है.
पानी की गुणवत्ता के सात मानक
- पानी का तापनमान
- पानी में घुला हुआ ऑक्सीजन
- पानी का पीएच मान
- पानी का खारापन
- अमोनिया
- नाइट्रेट
- नाइट्रराईट
इन सातों पारामीटर पर खास ध्यान देना होता है. खास कर बारिश के मौसम में पानी का तापमान, घुलनशील ऑक्सीजन और पानी का पीएच मान काफी अहम हो जाता है क्योंकि यह तीन चीजें बहुत ज्यादा परिवर्तित होती है.
पीएच को सुधारने के लिए क्या करें
पीएच को सुधारने के लिए चूना का उपयोग बेहद अहम हो जाता है. जब आप चूना का उपयोग करते हैं, तो उससे किसानों को तीन चार फायदे होते हैं. चूना के इस्तेमाल से तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा बेहतर हो जाती है. क्योंकि चूना के प्रयोग से तालाब के माइक्रोब्स की एक्टिवीटी कम हो जाती है.
झारखंड में खास कर लाल मिट्टी होने के कारण बारिश के मौसम में पीएच लेवल में कमी आ जाती है. ऐसे में चूना का उपयोग पीएच लेवल को बनाये रखता है. फोस्फेट को रिलीज करने में पीएच का बड़ा योगदान होता है. ऐसे में जब चूना का प्रयोग किया जाता है को तालाब में फोस्फेट अच्छे से रिलीज होता है. इससे पानी में प्लांकटन की उत्पदाकता बढ़ती है. मीठे पानी के स्त्रोत में फोस्फेट एक लिमिटिंग न्यूट्रियएंट होता है. जब वो फोस्फेट मिट्टी से अच्छे तरीके से बाहर आता तो पानी की उत्पादकता बढ़ जाती है. जिससे मछली का पोषण बेहतर हो जाता है. इसके साथ ही जिस तालाब में चूना का नियमित तौर पर इस्तेमाल होता है वहां मछलियां में बीमारियां कम आती है.
कितना होना चाहिए पीएच
पीएच कभी कभी किसी तालाब में ज्यादा हो जाता है तो वहां अमोनिया टॉक्सिसिटी बढ़ सकती है इसलिए यह पांच से सात के बीच रहना चाहिए. साथ ही समय समय पर तालाब का निरक्षण करना चाहिए.