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मॉरीशस के राष्ट्रपति ने किया प्रवासी भारतीयों के उद्धारक मणिलाल की दुर्लभ पुस्तक का विमोचन।

मॉरीशस के महात्मा गाँधी संस्थान में प्रसिद्ध लेखक डी. नेपॉल की पुस्तक ‘मणिलाल डॉक्टर’ का विमोचन किया गया। इस मौके पर मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह ने कहा, कि मणिलाल ने मॉरीशस में रहने वाले भारतीयों के सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समारोह का आयोजन “मणिलाल मगनलाल डॉक्टर मेमोरियल एसोसिएशन” और “महात्मा गाँधी संस्थान” के सहयोग से किया गया था। राष्ट्रपति ने कहा कि मणिलाल डॉक्टर ने भारतीयों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत किया, और उनको एक आवाज दिया। इसके साथ -साथ समाचार पत्रों में लेख लिखकर मॉरीशस में रह रहे भारतीयों के दुःख दर्द के प्रति दुनिया भर में सहानभूति पैदा की। मणिलाल डॉक्टर ने हमेशा स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के लिए संघर्ष किया। उनके द्वारा शुरू किया गया ‘दि हिंदुस्तानी ‘ समाचार पत्र इस दिशा में उनका सबसे बड़ा योगदान है जिसे भूलाया नहीं जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा मणिलाल एक कर्मयोगी और दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने मॉरीशस में गिरमिटया श्रमिकों के कार्य करने की दशाओं और शर्तों में सुधार की दिशा में बड़ा योगदान किया। मणिलाल डॉक्टर ने चार साल इस देश की सेवा की और 9 दिसम्बर 1911 को वे मॉरीशस से वापस चले गए। महात्मा गाँधी के दूत के रूप में पीड़ित भारतवंशियों, श्रमिकों को अन्याय से मुक्ति दिलाने के मकसद से ही वे मॉरीशस की धरती पर आये थे।
डी. नेपॉल की दुर्लभ किताब को दोबारा प्रकाशित करने में सहयोग करने वाले ब्रिटेन के निवासी डॉ. सांगली और पूर्व उप राष्ट्रपति पी. पी. वयापुरी ने भी अपने विचार रखे। सांगली ने कहा – मॉरीशस में मणिलाल डॉक्टर का आगमन संयोग की बात नहीं है। दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटते समय गांधी जी मॉरीशस में रहे। भारत पहुंचने पर उन्होंने मणिलाल से बात की और मॉरिशस आने की प्रेरणा दी। मणिलाल डॉक्टर 11 अक्तूबर, 1907 को यहाँ आये और यहाँ के लोगो के लिए जी जान से काम किया। ऐसे में जरुरी है कि ये किताब अब पुस्तकालयों के जरिए नयी पीढ़ी तक पहुंचे।
पूर्व उप राष्ट्रपति पी. पी. वयापुरी ने कहा -डॉ. मणिलाल ने अनेक यात्राओं के साथ बहुतेरे महत्व के काम किये जिन्हें इतिहास कभी भुला नहीं सकता। धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में क्रांति के बीज बो कर आवाज़ बुलंद करने वाले इस चिंतक ने मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, फिजी को अपनी कर्म भूमि बनाई। भारत के कई शहरों में घूमने के पश्चात उन्होंने कार्य क्षेत्र का अनुभव किया था जिसका उन्होंने आजीवन प्रयोग किया। वयापुरी ने कहा मणिलाल डॉक्टर के स्कूल की शिक्षा की ही देन है कि उन्हें सरस्वती पूजा और हिन्दू रीती रिवाजों को करीब से देखने और सीखने का अवसर मिला। वे खुद मणिलाल डॉक्टर की प्रेरणा से स्थापित ‘यंग मैन हिन्दू एडेड स्कूल’ के छात्र रहे हैं।
एमजीआई के डायरेक्टर जनरल राजकुमार रामप्रताब ने कहा आज मॉरीशस का हर नागरिक स्वाधीनता और सुख-सुविधाओं से भरपूर वातावरण में सांस ले रहा है। जीवन के इन आरामतलब साधनों को जुटाने और स्थिर करने में कई महापुरुषों और नेताओं का बड़ा हाथ रहा है। महापुरुषों के इस क्रम में डॉक्टर मणिलाल का नाम सबसे पहला है जिन्होंने अपने समय में कई क्रांतिकारी पहलुओं के बीज बोये जो आज फूल फल कर मानवता के लिए एक नई प्रेरणा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि मणिलाल डॉक्टर जैसे लोग ही भारतीय डायस्पोरा के नायक रहे हैं , यही वजह है सिर्फ मॉरीशस ही नहीं आज ब्रिटेन में भी भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बन पाये हैं।
इस मौके पर एमजीआई की डायरेक्टर विद्योत्तमा कुंजल, मणिलाल मगनलाल डॉक्टर मेमोरियल एशोसिएशन के अध्यक्ष विनयदत्त रामकिशन, उपाध्यक्ष डॉ कृष्ण कुमार झा, सचिव नारायण सन्यासी, कविता रामफल, शिक्षा मंत्रालय में स्थायी सचिव मनबोध, एमआईइ के निदेशक विष्णुदयाल सहित विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी भी मौजूद थे।

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