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इंटरव्यू में बोले पीएम मोदी- छोटे किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध, कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमारी सरकार छोटे किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि हम कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक कोई भी तक इस बात के साथ नहीं आया है कि वे ये विशेष बदलाव चाहते हैं. एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने तीनों नए कृषि कानूनों, किसान संगठनों से बातचीत और कानूनों पर हो रही राजनीति को लेकर विस्तृत चर्चा की है.

ओपन मैगजीन को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार शुरू से ही प्रदर्शकारी किसान संगठनों से वार्ता करने और कानूनों में आपत्ति वाले मुद्दों पर चर्चा को तैयार है. इस सिलसिले में कई बैठकें भी हुई हैं लेकिन अभी तक कोई भी आपत्ति से संबंधित किसी एक विशेष मुद्दे को लेकर नहीं आया है और न ही कहा है कि वह यह बदलाव विशेष चाहते हैं.

‘किसानों के फायदे को नजरअंदाज कर राजनीतिक लाभ देख रहे’

विरोधियों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि आप आज किसान हितैषी कानूनों का विरोध करने वालों को देखेंगे तो आपको बौद्धिक बेईमानी और राजनीतिक धोखाधड़ी का असली मतलब पता चलेगा. यह वही लोग हैं जिन्होंने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर वहीं करने की मांग की थी जो हमारी सरकार ने किया है. यह वही लोग हैं जिन्होंने अपने घोषणा पत्र में वही सुधार करने का वादा किया था जो हमने किए हैं.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसके बावजूद जब जनता के आशीर्वाद से बनी सरकार उन्हीं सुधारों को लागू कर रही है तो उन्होंने यू-टर्न ले लिया है और बौद्धिक बेईमानी का प्रदर्शन किया है. किसानों को होने वाले फायदों को नजरअंदाज कर वह अपने राजनीति लाभ देख रहे हैं.’

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का एक वर्ग इन कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने की मांग को लेकर लगभग 10 महीने से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं व देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. फिलहाल, इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगी हुई है.

सरकार के दावे को मानने को तैयार नहीं किसान

केंद्र सरकार लगातार कह रही है कि तीनों कृषि कानूनों किसानों के हित में हैं और इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी. साथ ही किसान अपने उत्पाद को देश भर में बेचने को स्वतंत्र होंगे. सिर्फ मंडियों में ही बेचने की बाध्यता खत्म हो जाएगी. वहीं किसान संगठनों ने तीनों नए कृषि कानूनों को ‘काला कानून’ करार दिया है.

उनका कहना है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद से एमएसपी समाप्त हो जाएगी और मंडियों पर ताला लग जाएगा. हालांकि सरकार ने आंकड़ों का हवाला देकर कहा है कि कृषि कानूनों के संसद से पारित होने के बाद से लगातार एमएसमी में वृद्धि हुई है. वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कुल सरकारी खरीद में से 85000 करोड़ की खरीद सिर्फ मंडियों से की गई है. हालांकि किसान संगठन अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और वे एमएसपी पर गारंटी चाहते हैं.

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