एयरबस और गति शक्ति विश्वविद्यालय, वड़ोदरा के बीच एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए।
गोरखपुर: भारतीय रेल के गति शक्ति विश्वविद्यालय (जी.एस.वी.) वड़ोदरा और एयरबस ने आज भारतीय विमानन क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करने के लिए सहयोग के क्षेत्र में प्रवेश किया। एयरबस भारत तथा दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक रेमी मैलार्ड और गति शक्ति विश्वविद्यालय, वड़ोदरा के कुलपति प्रोफेसर मनोज चौधरी के बीच गुरुवार को रेल भवन, नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार श्री अश्विनी वैष्णव, जो गति शक्ति विश्वविद्यालय के पहले चांसलर भी हैं, की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री जया वर्मा सिन्हा और रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
एयरबस और टाटा ने हाल ही में वड़ोदरा (गुजरात) में भारत में सी-295 एयरक्राफ्ट की डिजाइन, नवाचार, निर्माण, विकास के लिए साझेदारी की घोषणा की थी। एयरबस वाणिज्यिक विमान का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता और हेलीकॉप्टर, रक्षा और अंतरिक्ष उपकरण का अग्रणी निर्माता है। कम्पनी का भारत के साथ विकास का पुराना सम्बन्ध रहा है। भारत वैश्विक विमानन के एक प्रमुख केन्द्र के साथ-साथ प्रतिभा एवं संसाधन केन्द्र के रूप में जाना जाता है और कम्पनी देश में पूरी तरह से एकीकृत एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए सभी आवश्यक बिल्डिंग ब्लॉक्स को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘मेक इन इंडिया‘ भारत में एयरबस की व्यावसायिक रणनीति के केन्द्र में है और कम्पनी अपने वैश्विक उत्पादों में भारत का योगदान लगातार बढ़ा रही है।
इस अवसर पर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘गति शक्ति विश्वविद्यालय गहन उद्योग-अकादमिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके सभी कोर्स इंडस्ट्री के सहयोग से डिजाइन किए जाएंगे। इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र उद्योग के लिए तैयार होंगे। परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में रोजगार के लिए उनकी अत्यधिक माँग होगी। एयरबस के साथ आज का समझौता ज्ञापन इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एयरबस भारत तथा दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक रेमी मैलार्ड ने कहा कि एक कम्पनी के रूप में जो भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हमें मानव पूंजी विकास में निवेश करने की अपनी जिम्मेदारी का एहसास है। गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी से देश में कुशल कार्यबल की एक मजबूत पाइप लाइन विकसित होगी, जो भविष्य में तेजी से बढ़ते एयरोस्पेस क्षेत्र में कार्य के लिए तैयार होगी।
यह उद्योग-अकादमिक साझेदारी नियमित छात्रों और कामकाजी पेशेवरों के लिए क्षेत्र-प्रासंगिक कौशल पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों के सह-विकास और सह-वितरण, संकाय के लिए संयुक्त अनुसंधान और उद्योग के अनुभव, छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्लेसमेंट और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को सक्षम करेगी। यह उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार छात्रों के लिए नौकरी के अवसर पैदा करेगा। आशा है कि एयरबस के भारतीय परिचालन में 15000 छात्रों को नौकरी मिलने की सम्भावना है।
गति शक्ति विश्वविद्यालय, वड़ोदरा की स्थापना 2022 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से सम्पूर्ण परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के लिए सर्वाेत्तम जनशक्ति और प्रतिभा तैयार करने के लिए की गई थी। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है। रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव इसके प्रथम चांसलर हैं।
विशेष रूप से परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, गति शक्ति विश्वविद्यालय ‘‘अपनी तरह का पहला‘‘ विश्वविद्यालय है, जिसका लक्ष्य रेलवे, शिपिंग, बंदरगाहों, राजमार्गों पर राष्ट्रीय विकास योजनाओं (पी.एम. गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 2021 और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022) के जनादेश को पूरा करना है। भारतीय रेल के सभी केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों के माँग-संचालित पाठ्यक्रम और अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाते हुए यह विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, प्रबन्धन और नीति में प्रोफेशनल्स का एक संसाधन पूल तैयार करेगा। गति शक्ति विश्वविद्यालय भारतीय रेल परिवीक्षाधीनों और सेवारत अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित करेगा।
एक उद्योग-संचालित और नवाचार-आधारित विश्वविद्यालय होने के नाते, गति शक्ति विश्वविद्यालय के पास पहले से ही दुनिया भर के अग्रणी संस्थानों और उद्योगों के साथ कई सहयोग हैं