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अयोध्या फैसले पर सलमान खुर्शीद ने की SC की तारीफ, हिंदुत्व की राजनीति को बताया खतरनाक

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अयोध्या फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की है और हिंदुत्व से प्रभावित कांग्रेस नेताओं को आईना दिखाया है. “सनराइज ओवर अयोध्या” (Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times) नाम की किताब में सलमान खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मूल्यांकन करते हुए कुछ सवाल भी उठाए हैं, लेकिन फैसले के सकारात्मक पहलू को देखने की वकालत करते हुए उम्मीद जताई है कि अब देश इस विवाद से आगे बढ़ेगा. दिलचस्प बात यह है कि किताब में सलमान खुर्शीद ने अपनी पार्टी यानी कांग्रेस के उन नेताओं की आलोचना की है कि जो हिंदुत्व की राजनीति से प्रभावित नजर आते हैं.

खुर्शीद ने की हिंदुत्ववादी राजनीति के प्रभाव की चर्चा

देश में हिंदुत्ववादी राजनीति के प्रभाव की चर्चा करते हुए सलमान खुर्शीद लिखते हैं, “मेरी अपनी पार्टी, कांग्रेस में, चर्चा अक्सर इस मुद्दे की तरफ मुड़ जाती है. कांग्रेस में एक ऐसा तबका है, जिन्हें इस बात पर पछतावा है कि हमारी छवि अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी की है. यह तबका हमारी लीडरशीप की जनेऊधारी पहचान की वकालत करता है. इन्होंने अयोध्या पर आए फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यह घोषणा कर दी कि अब इस स्थल पर भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए. इस रुख ने निश्चित तौर पर सर्वोच्च न्यायलय की ओर से दिए गए आदेश के उस हिस्से की अनदेखी की, जिसमें मस्जिद के लिए भी जमीन देने का निर्देश दिया गया था.” इसको लेकर जब सलमान खुर्शीद से सवाल किया गया तो उन्होंने नहीं बताया कि उनका निशाना किन नेताओं की तरफ है, लेकिन कहा कि कुछ नेताओं ने अपनी समझ और निजी आस्था से ऐसा कहा होगा. हमें वो कहना चाहिए जो राहुल गांधी कहते हैं, वो नहीं जो कुछ लोगों ने कह दिया.

खुर्शीद ने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अपनी किताब को लेकर सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘’अयोध्या विवाद को लेकर समाज में बंटवारे की स्थिति थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसका समाधान निकाला. कोर्ट के फैसले ने काफी दूर तक देखने की कोशिश की है. ऐसा फैसला है जिससे ये ना लगे कि हम हारे, तुम जीते.’’ बीजेपी सरकार की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘’ऐसा एलान तो नहीं हुआ कि “हम जीत गए” लेकिन कभी-कभी ऐसे संकेत दिए जाते हैं. सबको जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए. फिलहाल अयोध्या के उत्सव में ऐसा लगता है कि एक ही पार्टी का उत्सव है.’’

किताब में सलमान खुर्शीद लिखते हैं “बेशक, हिंदुत्व के समर्थक इसे इतिहास में अपने गौरव को उचित मान्यता मिलने के तौर पर देखेंगे. न्याय के संदर्भ सहित जीवन कई खामियों से भरा है, लेकिन हमें आगे बढ़ने के लिए इसके साथ समायोजन करने की जरूरत है. यह किताब एक विवेकपूर्ण फैसले में आशा को देखने की कोशिश है, फिर भले ही कुछ लोगों को यह लगता हो कि फैसला पूरी तरह उचित नहीं था.” किताब पर बात करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि समाज में एकता आएगी तो मानूंगा कि किताब लिखने का फैसला कामयाब रहा.

हिंदुत्व की राजनीति करने वाले गलत हैं- खुर्शीद

हालांकि किताब में हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों से करते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा कि हिंदुत्व साधु-सन्तों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो कि हर तरीके से आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है. इसकी वजह पूछे जाने पर सलमान ने कहा, “हिन्दू धर्म बहुत उच्च स्तर का धर्म है. इसके लिए गांधी जी ने जो प्रेरणा दी उससे से बढ़कर कोई प्रेरणा नहीं हो सकती है. कोई नया लेबल लगा ले तो उसे मैं क्यों मानूं? कोई हिन्दू धर्म का अपमान करे तो भी मैं बोलूंगा. मैंने ये कहा कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले गलत हैं और आईएसआईएस भी गलत है.”

सलमान खुर्शीद की किताब की टाइमिंग महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि आनेवाले दिनों में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और किसी ना किसी रूप में राम मंदिर का मुद्दा हावी रहने ही वाला है. ऐसे में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की कवायद मेल-जोल की बात ध्रुवीकरण रोकने की लगती है. हालांकि खुद खुर्शीद ने कहा कि महज एक किताब से ध्रुवीकरण पर लगाम नहीं लगाई जा सकती. दो साल पहले 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर सर्वसम्मति से हिन्दू पक्ष के हक में फैसला दिया था, जहां फिलहाल राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है.

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