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आतंकियों की मदद से कश्मीर पुलिस पर हमला करने की कोशिश में पाकिस्तान, घाटी में एक्टिव हैं 38 दहशतगर्द

कश्मीर में आतंक के लगातार गिरते ग्राफ और आतंकियों के सफाए से पाकिस्तान और उसकी आतंकी एजेंसी की नींद हराम की हई है इसलिय लगातार पाकिस्तान नए नए प्लान तैयार करता रहता है. पहले आतंकियों के निशाने पर आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्सेज रहा करती थीं, लेकिन अब आतंकी आम कश्मीरियों के साथ कश्मीर पुलिस में काम करने वाले आम लोगों को भी अटैक किया जा रहा रहे है ताकि कश्मीर में शांति बहाली के साथ साथ कानून व्यवस्था को बिगड़ा जा सके और इसका हल्ला पाकिस्तान पूरी दुनिया में कर सके. यही वजह है कि फॉरेन टेररिस्ट ( FT) के अटैक अब कश्मीर पुलीस पर ज्यादा हो गए हैं.

कश्मीर घाटी में करीब 38 पाकिस्तान के आतंकी एक्टिव हैं, उसमें 27 लश्कर के और 11 जैश के दहशतगर्द हैं. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, 4 आतंकी श्रीनगर, 3 कुलगाम, 10 पुलवामा, 10 बारामूला में और 11 आतंकी कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में छुपे हो सकते हैं, जिन्हें अब ढूंढ ढूंढकर एनकाउंटर ज्करने की तैयारी है. दरअसल, आतंकियों के बौखलाहत के पीछे की भी कई वजह हैं, जिसमें पत्थरबाजी लगभग बंद हो जाना है. सेना के लगातार बढ़ते ऑपरेशन और आतंकियों को आम लोगों का समर्थन न मिलना मुख्य हैं. साल 2018 के मुकाबले इस साल आतंकवादी घटनाओं को आंतकी अंजाम कम दे पाए. साल 2018 में आतंकियों ने कुल 318 आतकी वारदातों कोअंजाम दिया था, लेकिन साल 2021 में 121 घटना रिपोर्ट हुई हैं.

2019 में पत्थरबाजी की 202 घटनाएं सामने आईं

वहीं ऑपरेशन की जगह पर ओजीडब्लू की मदद से लोगों की भीड़ जुटाना और फिर पत्थरबाज़ी करवाकर ऑपरेशन में बाधा डालने की कोशिशों में भी ज़बरदस्त कमी आई है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में पत्थरबाजी की 202 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि इस साल सिर्फ 39 रिपोर्ट हुई हैं. वहीं ऑपरेशन के दौरान आम लोगों को नुकसान कम हो उसके लिए सुरक्षाबल ऑपरेशन के दौरान एसओपी फॉलो करते हैं. एसओपी के मुताबिक सिविलियन को जानमाल का कोई नुक्सान न हो, न ही कोई हताहत हो, न ही कोई घायल, यहां तक किसी की संपत्तियों को भी कोई नुक्सान न हो और शायद यही वजह है एनकाउंटर में कोलेट्रल डैमेज बहुत कम होता है.

2018 में 24 स्थानीय नागरिकों की हुई थी मौत

आगर आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2018 में सेना के ऑपरेशन के दौरान क्रॉस फायरिंग में 24 स्थानीय नागरिकों की मौत हुई और 49 घायल हुए थे, जबकि इस साल 2021 में एनकाउंटर के दौरान क्रॉस फायरिंग में महज 2 आम लोगों की जान गई और 2 को मामूली चोट आई. पहले हताहतों की संख्या इसलिए ज्यादा दर्ज हुई क्योंकि आतंकी ऑपरेशन की जगह से भागकर बचने के लिए घर में छिप जाते थे और दूसरे एनकाउंटर साइट पर लोगों की भीड़ ज्यादा होती थी, लेकिन पिछले दो साल में इसमें जबरदस्त कमी आई. अब न तो आम लोगों के घरों में आतंकियों को छिपने की जगह मिलती, दूसरा आतंकी और उनके ओजीडब्लू किसी भी तरह से लोगों को एनकाउंटर साइट पर इकट्ठा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि अब घाटी के लोग आतंकवाद, आतंकी और उनके एजेंडे को पूरी तरह से नकारते दिख रहे हैं.

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