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प्रदेश में शहरों के नाम बदलने का राजनीति पर असर?

मृत्युंजय दीक्षित


प्रदेश में पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की विजय के बाद अब पंचायतों के माध्यम से शहरों का नाम बदलने की कवायद एक बार फिर शुरू हो गयी है तथा इसके साथ ही एक बार फिर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व हिंदुत्व तथा सेकुलर गैंग के बीच यह बहस छिड़ गयी है कि आखिर नाम में क्या रखा है? प्रदेश की भाजपा सरकार ने पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज रखा जिसका प्रदेश के सेकुलर विचारधारा वाले दलों ने काफी तीखा विरोध किया और हाईकोर्ट में एक याचिका डाली लेकिन वह खारिज हो गयी अभी यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है।

समाजवादी नेताओं का कहना है कि जब आगामी चुनावों के बाद प्रदेश में सरकार बदल जायेगी तब प्रयागराज एक बार फिर इलाहाबाद बन जायेगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार मेडिकल कालेजों एवं एयरपोर्ट सहित कई महत्पूर्ण स्थलों के नाम महापुरूषों, ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व के व्यक्तियों के नाम पर कर चुकी है तथा यह अभियान अनवरत चल रहा है। बीजेपी सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर किया और अब झांसी रेलवे स्टेशन का नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम करने का प्रस्ताव भेज दिया गया है।

अभी कुछ समय पहले फिरोजाबाद की जिला पंचायत बैठक के दौरान फिरोजाबाद के ब्लाक प्रमुख लक्ष्मी नारायण यादव ने सदन में फिरोजाबाद जिले का नाम बदलकर चंद्रनगर रखने का प्रस्ताव रखा जिसे बहुमत के साथ पारित किया गया था। इसी प्रकार अब दूसरे जिलों में भी शहरों के नाम बदलने की मांग जोर उठाने लग गयी है। जिसमें मैनपुरी जिले का नाम मयन नगरी व अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ करने का प्रस्ताव दोनों जिलों के जिला पंचायत बौर्ड की बैठक में रखा गया। सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित कर दिया।

अब प्रस्ताव को शासन स्तर पर भेजा जायेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने भी हरिगढ़ नाम रखने के लिए ज्ञापन दिया है। जिसमें जिले में स्वर्गीय राजा बलवंत सिंह के नाम से द्वार बनवाने की मांग की गयी है। अलीगढ़ जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में धनीपुर हवाई पटटी का नाम पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम पर रखने का रखने का प्रस्ताव पारित किया है।

आहुति संगठन के संस्थापक अशोक चौधरी ने बताया कि 1985 में पहली बार जिले के समाजसेवी विचारक और समस्त हिंदुवादी संगठनों ने बैठक कर निर्णय लिया था कि यह महान संगीतकार और बिहारी जी को प्रगट करने वाले स्वामी हरिदास जी की धरती है, इसलिए इसका नाम हरिगढ़ रखा जाये। इस प्रस्ताव का सभी ने समर्थन किया तभी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , विष्व हिंदू परिषद- बजरंग दल आदि तमाम संगठन अलीगढ़ को हरिगढ़ कहते हैं। उनके बैनर और पोस्टरों पर हरिगढ़ का नाम लिखा रहता है। पोस्टकार्ड आदि पर भी हरिगढ़ लिखा रहता है।

इसी प्रकार मैनपुरी का भी वर्ष 1932 से पहले कोई अस्तित्व नहीं था । मैनपुरी का नाम एक शताब्दी पहले तक मयनपुरी बोलचाल की भाषा में प्रचलित था। इसकी पुष्टि पुराने डाकघर पर लगे पत्थर भी करते थे। वर्ष 1900 के बाद जिले का नाम मैनपुरी बोलचाल में आया। वर्तमान समय में अधिकांश जिलों के नाम मुगल काल व अंग्रेजों के शासन काल के कारण बदल गये या अपभ्रंश के कारण बोलचाल की भाषा में बदल गये हैं और कहा जा रहा है कि यह सभी नाम गुलामी व पराजय की याद दिलाते हैं इसलिए अब समय आ गया है कि इन सभी जिलों व महत्वपूर्ण स्थलों के नाम बदल दिए जायें और सनातन संस्कृति व भारतीय गौरव की एक बार पुनः स्थापना की जाये।

फिरोजाबाद – जैसे फिराजाबाद जिले के लिए कहा जाता है कि यहां एक ऐसी जगह है जहां राजा चंद्रसेन की सियासत थी और उस जगह को चंद्रनगर कहा जाता है। ये बात 1556 की है जब मुगल षासन से पहले फिरोजाबाद में राजा चंद्रसेन की सियसत थी और वह अपने महल में बैठकर प्रजा की समस्या सुनते थे और उनका समाधान करते थे। राजा चंद्रसेन बहुत ही तेज तर्रार योद्धा थे लेकिन अब उनका महल खंडहर में परिवर्तित हो चुका है। इतिहास के अनुसार फिरोजाबाद का नाम अकबर की सेना के सेनापति फिरोज शाह के नाम रखा गया। फिरोज शाह का यहीं पर निधन हुआ और उनका मकबरा फिरोज शाह नाम से बना दिया गया जो आज भी मौजूद है तथा लोग यहां पर नमाज पढ़ते हैं। 5 फरवरी 1989 को फिरोजाबाद जिला बनाया गया था लेकिन अब प्रदेश सरकार ने नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

देवबंद का नाम बलने की मांग – इसी प्रकार अब देवबंद का नाम देववृंद करने की मांग तेज हो गयी है। देवबंद के बीजेपी विधायक कुंवर बृजेश सिंह कहते हैं कि देवबंद का नाम वास्तव में देववृंद ही है। क्षेत्र की जनता भी चाहती है कि देवबंद नाम देववृंद किया जाये। नगर विकास मंत्री आषुतोष टंडन से बजरंग दल के प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने इस सिलसिले में मुलाकात भी की। शाकम्भरी शक्तिपीठ के जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी सहजानंद महाराज ने बताया कि देवबंद का प्राचीन नाम देवबृंद ही है यह महाभारतकालीन प्राचीन शहर है। संघ भी अपनी कार्यप्रणाली में देवबंद को देवबृंद ही कहता है। वहीं अब सहारनपुर राज्य विवि का नाम मां शाकम्भरी देवी विष्वविद्यालय होगा। इस प्रकार से बीजेपी सरकार का नामकरण और नाम परिवर्तन अभियान अभी चलता रहेगा और हिंदुत्व की राजनीति का विमर्ष गहरा होता रहेगा।

जिले के नाम बदलने के विरोधी इसे केवल वोटबैंक की राजनीति ही कह रहे हैं। अगर चुनावों के पहले सरकार कुछ जिलो के नाम बदलने में सफल हो जाती है तब यह सरकार हिंदुत्व व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रयोग को आगे बढ़ाने में सफल हो जायेगी। अगर किसी वजह से अभी यह नामकरण टल जाते हैं तब जिला पंचायत बोर्ड की ओर से पारित सभी प्रस्ताव जिलों की राजनीति में गहरा असर डाल सकते हैं और हिंदुत्व व सेकुलर गैंग के बीच मतों का ध्रुवीकरण भी हो सकता है। वैसे भी प्रदेश में जिस प्रकार से जातिवाद की राजनीति सिर उठा रही है उन हालातों में बीजेपी के पास जातिवाद की राजनीति की काट के लिए यह सही फार्मूला बन सकता है।

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