चिकित्सा अनुसंधान में एसजीपीजीआई ने दुनिया में अपना परचम लहराया।
विश्व के 2 फ़ीसदी शीर्ष वैज्ञानिकों में एसजीपीजीआई के 13 शिक्षक।
लखनऊ: रोगी देखभाल के साथ साथ चिकित्सा शोध के क्षेत्र में, संजय गांधी पीजीआई हमेशा न सिर्फ देश का बल्कि दुनिया का एक प्रसिद्ध चिकित्सा संस्थान रहा है। कैलिफ़ोर्निया अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से हाल में जारी की गई दुनिया के शीर्ष 2 फ़ीसदी वैज्ञानिकों की सूची में यहां के 13 शिक्षकों ने अपना स्थान बनाकर इसे साबित भी कर दिया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी हर साल विश्व के 2% शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची जारी करती है, इसमें हर क्षेत्र के शोधकर्ताओं को शामिल किया गया है, पहली सूची कैरियर डाटा पर आधारित है दूसरी सूची वर्ष 2021 में किए गए वैज्ञानिकों के काम के आकलन के आधार पर तैयार की गई है।
इन चिकित्सकों ने संस्थान का गौरव बढ़ाया
संजय गांधी पीजीआई के डायरेक्टर और हेपटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राधा के धीमन, न्यूरोलॉजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यू. के मिश्रा, गैस्ट्रो सर्जरी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर विनय कपूर, यूरोलॉजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर रमा देवी मित्तल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के और वर्तमान में जिपमेर पांडिचेरी के डायरेक्टर प्रोफेसर राकेश अग्रवाल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उदय चंद्र घोषाल, न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर जयंती कालिता, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उज्जल पोद्दार, नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नारायण प्रसाद, क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रोफेसर मोहन गुर्जर, बायोस्टैटिस्टिक्स एंड हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ प्रभाकर मिश्रा, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दुर्गा प्रसन्ना मिश्रा और एंडोक्रिनोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रोहित सिन्हा।
पीजीआई निदेशक ने कहा कि संस्थान के लिए गर्व का अवसर।
विश्व के शीर्ष २% वैज्ञानिकों की सूची में पीजीआई के 13 शिक्षकों के नाम आने पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर. के. धीमन बेहद खुश दिखे। उन्होंने समस्त चयनित शिक्षकों के साथ-साथ संस्थान को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। प्रोफेसर धीमान जो खुद भी इन दो प्रतिशत चयनित शिक्षकों में शामिल हैं, ने कहा कि संजय गांधी पीजीआई उत्कृष्ट चिकित्सा प्रदान करने के लिए देश, प्रदेश में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रख्यात है। आज संस्थान के शिक्षकों ने शोध में भी नया आयाम और पहचान बनाई है। संस्थान के चिकित्सकों द्वारा जिस तरह से काफी संख्या में गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र प्रकाशित किए जा रहे है, एक डायरेक्टर के रुपए में मेरे लिए काफी संतोष की बात है हालांकि हमें लगातार काम करते हुए इससे भी बेहतर करने का प्रयास करना होगा. प्रोफेसर धीमान ने कहा कि सबसे ज्यादा गर्व की बात यह है कि इन शिक्षकों में चार ऐसे शिक्षक शामिल है जिन्होंने अपने छोटे से कैरियर में ही यह गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है. उम्मीद करता हूं कि संस्थान के इन शिक्षकों से दूसरे अन्य शिक्षक और छात्र भी प्रेरणा लेंगे और भविष्य में हम इससे भी बेहतर करेंगे।