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ललित मोदी की पारिवारिक संपत्ति के विवाद को निपटाने की कवायद शुरू।

नई दिल्ली: ललित मोदी की पारिवारिक संपत्ति के विवाद का निपटारा अदालत से बाहर करने की फिर से क़वायद शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरवी रवींद्रन को मध्यस्थ नियुक्त किया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने यह फैसला किया है। पक्षों से मध्यस्थता की कार्यवाही के दौरान गोपनीयता बनाए रखने को कहा गया है। साथ ही कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

ललित मोदी की पारिवारिक संपत्ति के विवाद के मामले में दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की यह दूसरी कोशिश है। पहली बार की मध्यस्थता में समझौता नहीं हो पाया था।

इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस विक्रमजीत सेन और जस्टिस कूरियन जोसेफ को मध्यस्थता करने के लिए नियुक्त किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता की कार्यवाही गोपनीय रहेगी. सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी, उनकी मां बीना मोदी और उनके भाई और बहन के बीच चल रहे संपत्ति विवाद को भारत में ही मध्यस्थता कर सुलझाने की पेशकश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि सिंगापुर के बजाए भारत में ही मध्यस्थता से विवाद को सुलझाया जाए।

दरअसल ललित मोदी ने परिवार में संपत्ति विवाद को लेकर सिंगापुर में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की थी। इसका ललित मोदी की मां बीना मोदी, उनकी बहन चारू और भाई समीरस ने विरोध किया था। उन्होंने कार्यवाही को रोकने के लिए एक वाद दायर किया था।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने ललित मोदी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि आप सब परिवार के सदस्य हैं। परिवार के सदस्य होने के नाते भारत में मध्यस्थता या मध्यस्थता के लिए सहमत हो सकते हैं। हरीश साल्वे और कपिल सिब्बल दोनों मध्यस्थता के लिए स्थान पर फैसला करने के लिए तैयार हो गए।

दरअसल हैदराबाद में स्थित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का शुभारंभ पिछले हफ्ते CJI रमना ने ही किया था। ललित मोदी ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनकी मां और भाई-बहनों द्वारा उनके खिलाफ दायर मध्यस्थता निषेधाज्ञा सूट को बरकरार रखा गया था।

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