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दिल्ली-NCR में ट्रकों की एंट्री पर बैन, स्कूल-कॉलेज बंद, पढ़ें आपात बैठक के बाद लगे प्रतिबंधों की सूची

दिल्ली-NCR में प्रदूषण संकट से निपटने के लिए अगले कुछ दिनों तक निर्माण कार्यों और स्कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की हुई ‘आपात बैठक’ में उन उपायों की सूची तैयार की है, जिससे अगले कुछ दिनों में प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है. मंगलवार देर रात CAQM ने अपने निर्देश में मौसम विभाग के अनुमानों का हवाला दिया और कहा कि दिल्ली-NCR में कम से कम 21 नवंबर तक वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ हालत में रह सकती है.

CAQM ने गैर जरूरी निर्माण, ट्रांसपोर्ट, पावर प्लांट पर रोक लगाने वर्क फ्रॉम होम जैसे निर्देश दिए हैं. इन उपायों की सूची को पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जा सकता है. ये निर्देश दिल्ली और एनसीआर में आने वाले राज्यों (उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब) को जारी किए गए हैं.

इंडस्ट्रियल पॉल्युशन

निर्देशों के मुताबिक, सिर्फ गैस से चलने वाली इंडस्ट्रीज ही चल सकेंगी, गैरनिर्धारित फ्यूल से चलने वाली सभी इंडस्ट्री बंद हों. जहां भी संभव हो तुरंत इंडस्ट्री को गैस पर शिफ्ट किया जाए. नियम नहीं मानने वालों पर त्वरित कार्यवाई की जाए. कमीशन पहले भी कह चुका है कि सिर्फ अनुमोदित ईंधन से चलने वाली इंडस्ट्रीज को ही चलने दिया जाए, राज्य सुनिश्चित करें कि बिना अनुमोदित ईंधन से चलने वाली इंडस्ट्रीज को तुरंत बंद किया जाए.

फैक्ट्री और इंडस्ट्रीज वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं इसके लिए दिल्ली और NCR की राज्य सरकारें प्रभावी तंत्र का इस्तेमाल करें, उच्च अधिकारियों की देखरेख में टीम गठित करें. जिससे प्रदूषण का उत्सर्जन करने वाली इंडस्ट्रीज पर कार्रवाई हो सके और उन्हें बंद किया जा सके.

थर्मल पावर प्लांट

राजधानी दिल्ली के 300 किलोमीटर की रेडियस वाले कुल 11 थर्मल प्लांट में से 5 थर्मल प्लांट ही चल सकेंगे, बाकी थर्मल प्लांट 30 नवंबर तक बंद रहेंगे. जो 5 थर्मल प्लांट चलेंगे, उनमें एनटीपीसी झज्जर, तलबंडी साबो टीपीएस मनसा, महात्मा गांधी टीपीएस सीएलपी झज्जर, पानीपत टीपीएस HPGCL, नाभा पावर लिमिटेड राजपुरा. निर्देश में कहा गया है कि थर्मल पावर प्लांट बंद होने के चलते अगर पावर की समस्याएं होती है, ऊर्जा मंत्रालय 300 किलोमीटर के दायरे वाले दूसरे थर्मल पावर प्लांट से पावर देकर समस्या का निपटारा करेगा.

वाहनों से होने वाला प्रदूषण और ट्रांसपोर्ट

निर्देश के मुताबिक, जरूरी सेवाओं में लगे ट्रकों को छोड़कर, सभी ट्रकों की एंट्री दिल्ली में 21 नवंबर तक के लिए बंद रहेगी. जरूरत पड़ने पर इस तारीख को आगे भी बढ़ाया जा सकता है. जिम्मेदार अथॉरिटी सुरक्षित करें कि सड़क पर 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल के वाहन और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल के वाहन ना चलें. नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई हो. पॉल्युशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट बगैर गाड़ियों का सड़क पर दौड़ना बंद किया जाए.

दिल्ली सड़क परिवहन विभग के लोग सड़कों पर मुस्तैद रहें, ताकि सड़क पर कंजेस्शन को रोका जा सके और ट्रैफिक मूवमेंट फ्री फ्लो रहे. दिल्ली सरकार सुनिश्चित करें कि सड़क पर पर्याप्त सीएनजी बसें उपलब्ध रहें. धुआं छोड़ने वाले वाहनों और अन्य वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट चेक करें और बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट वाले वाहनों पर रोक लगाएं. प्रदूषण सर्टिफिकेट की चेकिंग पेट्रोल पंप पर करें, जिससे सड़क पर जाम की स्थिति ना बने. ट्रैफिक टास्क फोर्स की तैनाती करें, जिससे भीड़ भाड़ वाले इलाकों में बाजारों में, पार्किंग में जाम ना लगे.

निर्माण से पॉल्युशन पर रोक

कुछ खास मामलों को छोड़ निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है. रेल, मेट्रो रेल, एयरपोर्ट और डिफेंस और राष्ट्रीय इम्पोर्टेन्स के निर्माण जारी रहेंगे. एन्टी स्मोग गन और स्प्रिंकलर का भरपूर उपयोग किया जाय. रोड स्वीपिंग मशीन और स्प्रिंकलर मशीन तुरंत खरीदे जाय. सड़कों पर निर्माण सामग्री जमा करने या निर्माण कचरा फैलाने वालों पर भारी जुर्माना का प्रावधान किया जाय.

इसके अलावा कहा गया है कि डीजी जनरेटर पर प्रतिबंध लगाया जाए. लोगों को वर्क फ्रॉम होम के लिए उत्साहित किया जाए. एनसीआर में काम करने वालों में 50% घर से काम करें, ऐसी योजना लागू हो. एनसीआर के सभी स्कूल, कॉलेज और एजुकेशन इंस्टीट्यूट बंद कर ऑनलाइन पढ़ाई का प्रबंध किया जाए.

कोर्ट ने आपात बैठक करने का दिया था निर्देश

इस बैठक में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के सेक्रेटरी आरपी गुप्ता, कमीशन के चेयरमैन एमएम कुट्टी, हरियाणा के मुख्य सचिव, डीजीपी प्रशांत अग्रवाल, राजस्थान के मुख्य सचिव, यूपी के मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी, यूडी, ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्री के अधिकारी मौजूद रहे.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह प्रदूषण संकट पर आपात बैठक बुलाए और स्थिति से निपटने के लिए मंगलवार तक जरूरी कदम उठाने पर निर्णय करे. कोर्ट ने कहा था कि ‘‘तथ्य अब सामने आ गया है’’ और किसानों द्वारा पराली जलाए जाने पर किसी वैज्ञानिक और तथ्यात्मक आधार के बिना ही ‘हल्ला’ मचाया जा रहा है. केंद्र के हलफनामे का हवाला देते हुए, इसने कहा कि 75 प्रतिशत वायु प्रदूषण तीन कारकों- उद्योग, धूल और परिवहन के कारण होता है.

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