एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उम्मीदवारों को नौकरियों और दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर केरल हाई कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी.
चीफ जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल याचिका पर नोटिस भी जारी किया, जिसमें मामले को हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में इसी तरह के मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया था.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और हाई कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने के अलावा नुजैम पी के को नोटिस देने का अनुरोध किया, जिन्होंने वहां जनहित याचिका दाखिल की थी. याचिका में कहा गया है कि रिट याचिका में इस कोर्ट के समक्ष लंबित कानून का एक समान प्रश्न शामिल है कि क्या संविधान (103वें संशोधन) कानून, 2019 भारत के संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है और संविधान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.
‘सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की जरुरत’
इसमें कहा गया है कि उक्त रिट याचिका को ट्रांसफर करने से इन सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई हो सकेगी और विभिन्न अदालतों द्वारा असंगत आदेश पारित होने की संभावना से बचा जा सकेगा. याचिका का ट्रांसफर आवश्यक है क्योंकि इसी तरह की याचिका और कानून की वैधता के संबंध में अन्य संबंधित अर्जियां इस कोर्ट के सामने लंबित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं और ट्रांसफर याचिकाओं को पूर्व में पांच जज की संविधान पीठ को भेज दिया था. कोर्ट ने केंद्र के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया था.