पंजाब कांग्रेस में आए राजनीतिक भूचाल के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक और शिगूफा छेड़ दिया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से आलाकमान के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष के लिए सुनील जाखड़ का नाम आगे किया गया है. सिद्धू के नहीं मानने पर जाखड़ को जिम्मेदारी देने की सिफारिश की गई है. सुनील जाखड़ वहीं कांग्रेसी नेता हैं जिन्हें हटाकर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर सिद्धू को प्रदेश की कमान सौंपी गई थी.
सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने उनके फैसले पर तंज कसा था. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘यह क्रिकेट नहीं है. इस पूरे ‘एपिसोड’ में जिस बात से समझौता किया गया, वो है कांग्रेस नेतृत्व का पीसीसी अध्यक्ष (निवर्तमान?) पर विश्वास करना. पद की गरिमा को ताक पर रखते हुए इस तरीके से उसका उल्लंघन करना किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता.’
जाखड़ रहे हैं सिद्धू के विरोधी
पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत के उस बयान पर भी जाखड़ ने आपत्ति दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़ेगी. उन्होंने कहा था कि यह बात न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि इसमें मुख्यमंत्री के कद को कमजोर करने की कोशिश भी है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सूबे के सीएम के लिए सुनील जाखड़ कांग्रेस आलाकमान के लिए पहली पसंद थे. हालांकि विधायकों द्वारा विरोध किए जाने के बाद उनका पत्ता साफ हो गया था. इसके बाद उन्होंने किसी सिख चेहरे को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात कही थी.
सुखविंदर सिंह ने कहा- सिद्धू ने जो किया वो विश्वासघात से कम नहीं
सिद्धू के पंजाब अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर पर कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह काका कम्बोज ने कहा, एक आदमी (नवजोत सिंह सिद्धू) के पार्टी छोड़ने/शामिल होने से चुनाव जीतने की हमारी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ता है, कांग्रेस फिर से सरकार बनाएगी. उसने जो किया वह विश्वासघात से कम नहीं है.
उन्होंने कहा, उन्हें सुनील जाखड़ को हटाकर चुना गया, जिन्होंने कांग्रेस के लिए जीवन भर काम किया. अगर वह (सिद्धू) अभी भी खुश नहीं हैं, तो वह कभी भी खुश नहीं रह सकते. पंजाब की स्थिति थोड़ी परेशान करने वाली है. गांधी परिवार ने उन पर बहुत विश्वास किया और फिर उन्होंने ऐसा किया.
पंजाब के अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा, ‘नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे से मुझे भी बहुत दुख हुआ है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. पार्टी ने आपको बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी दी है, वो निभानी चाहिए. ऐसा नहीं होता कि मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं मानते. वे अपना पद छोड़कर कैसे भाग सकते हैं.’