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यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए रण को धार देने में जुटे सियासी दल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा के आम चुनाव के लिए सियासी मैदान लगभग सज चुका है। राजनीतिक दलों का रण भी लगातार धारदार होता जा रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने दलों को बढ़ाने में लगे हुए हैं, गठबंधनों का दौर भी चल रहा है, दल बदलने का सिलसिला भी तेज है, सियासी दलों के नेता भी एक-दूसरे के संपर्क में हैं और चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश की सत्ता पाने के लिए सियासी दलों के नेताओं भी लगातार मुलाकातों का दौर जारी है। नेताओं की इन मुलाकातों के क्या मायने निकलेंगे, ये तो विधानसभा के चुनाव परिणाम ही तय करेंगे। लेकिन इस सबके बीच फिलहाल यूपी का राजनीतिक माहौल काफी गर्म है।

यूपी में दल बदलने का सिलसिला हुआ तेज

बुधवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में सियासी हलचलें काफी तेज रही। दल बदलने के क्रम में कांग्रेस की बागी नेता और रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह और आजमगढ़ के सगड़ी सीट से बसपा की विधायक वंदना सिंह ने बुधवार को भाजपा में शामिल हुई थीं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, इसके साथ ही कृष्णा पटेल वाली अपना दल पार्टी ने भी समाजवादी पार्टी के मिलकर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। यह गहमा-गहमी गुरुवार को भी देखने को मिली। जब जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। दोनों की इस मुलाकात के बाद तरह-तरह की चर्चाएं राजनीति के गलियारों में होने लगी।

पूर्वांचल में समीकरण बदलेगा सपा-सुभासपा का गठबंधन !

यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा के आम चुनाव प्रस्तावित है। 2017 के चुनाव में भाजपा के साथ रहे सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सबसे पहले गठबंधन का एलान किया था। दोनों नेताओं ने अक्टूबर में मऊ में आयोजित एक रैली मिलकर चुनाव लड़ने का एलान किया था। सपा और सुभासपा का गठबंधन पूर्वांचल में कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं ओमप्रकाश राजभर की मानें तो 100 सीटों पर राजभर समाज के वोट हार जीत तय करने की क्षमता रखते हैं। इनमें वाराणसी की पांच, आजमगढ़ की 10, जौनपुर की 9, बलिया की 7, देवरिया की 7 और मऊ की चार सीटों पर राजभर वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। राजभर की मानें तो यूपी की 66 सीटों पर 40 से 80 हजार और 56 सीटों पर 25 से 39 हजार तक राजभर वोट हैं।

सपा के साथ मिलकर लड़ेंगी ‘अद’ की अध्यक्ष कृष्णा पटेल

सुभासपा से गठबंधन के बाद अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने के बाद गठबंधन का एलान कर दिया। कृष्णा पटेल की पार्टी का प्रयागराज मंडल में काफी प्रभाव है। यहां की कई सीटों पर पटेल मतदाताओं की संख्या काफी है। माना जा रहा है गठबंधन के बाद सपा को पटेल और अपना दल (कमेरावादी) दोनों को काफी फायदा मिलेगा। जबकि मां से अलग हुई अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहीं हैं। अनुप्रिया पटेल का मिर्जापुर समेत पूर्वांचल के कई जिलों में काफी प्रभाव है।

सपा और आप में गठबंधन की चर्चाएं हुई तेज

सियासी दलों में गठबंधन के बीच नेताओं में मुलाकात का सिलसिला भी जारी है। बुधवार को लखनऊ में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। दोनों के बीच हुई मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में सपा-आप के बीच गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई। हालांकि संजय सिंह इसे महज एक शिष्टाचार मुलाकात बता रहे हो, लेकिन अखिलेश से कई बार हुई मुलाकात कुछ और ही संकेत दी रही है। इतना ही संजय सिंह मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने उनके आवास भी पहुंचे थे। हालांकि यूपी में अभी तक आम आदमी पार्टी का एक भी विधायक नहीं है। लेकिन संगठन को मजबूत करने में जुटी आप का दिल्ली से सटे यूपी में आने वाले जिलों में काफी प्रभाव माना जाता है।

छोटी जातियों को साधने में जुटी भाजपा

वहीं भाजपा यूपी में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा को छोड़ को एनडीए में शामिल अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के अलावा अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसके अलावा बीजेपी छोटी-छोटी जातियों को भी साधने में जुटी है।

कुल मिलाकर 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दलों में काफी गहमा-गहमी है। रोज-रोज विभिन्न दलों के नेता एक-दूसरे में मुलाकात करने में लगे हुए हैं। नेताओं के इन मुलाकातों को लेकर सियासी गलियारों में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे है। नेताओं के बीच हो रही मुलाकातें कितनी सार्थक निकलेंगी, ये तो 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।

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