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पीएम मोदी ने शंकराचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण, शंकर शब्द का समझाया अर्थ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केदारनाथ धाम पहुंचे. प्रधानमंत्री ने बाबा केदारनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना की, जिसके बाद गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुनर्स्थापना के साक्षी बन रहे हैं. ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं.

रामचरित मानस में किया गया ये उल्लेख

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे उपनिषदों में, आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है. रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है. रामचरित मानस में कहा गया है- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता. बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है.

बरसों पहले का नुकसान अकल्पनीय

प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था. जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा. इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं. मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं.

जो कल्याण करे, वही शंकर है

पीएम मोदी ने कहा कि शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है. इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया. उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे. एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था. लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, holistic way में देखता है. आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया.

शंकराचार्य जी पवित्र मठों की स्थापना की

आदि शंकराचार्य जी पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की, द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया. आदि शंकराचार्य जी सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की. हमारे यहां सदियों से चारधाम यात्रा का महत्व रहा है, द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन की, शक्तिपीठों के दर्शन की, अष्टविनायक जी के दर्शन की, ये सारी यात्राओं की परंपरा, ये तीर्थाटन हमारे यहां जीवन काल का हिस्सा माना गया है.

दीपोत्सव का कार्यक्रम दुनिया ने देखा

अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को, आस्था के केन्द्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए. आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है. अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा. भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है. विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है.

अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि – इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि – समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है. चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाइवेज से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है.

12 फुट लंबी और 35 टन वजन की प्रतिमा

केदारनाथ में शंकराचार्य की 12 फुट लंबी और 35 टन वजन वाली प्रतिमा स्थापित की गई है. उत्तराखंड  के केदारनाथ में स्थित आदि गुरु शंकराचार्य  की 12 फीट ऊंची प्रतिमा को मैसूर के मूर्तिकारों ने क्लोराइट शिस्ट से बनाया है. क्लोराइट शिस्ट  एक ऐसी चट्टान है, जो बारिश, धूप और कठोर जलवायु का सामना करने के लिए जानी जाती है. इस प्रतिमा का वजन 35 टन है. पर्यटन अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ मंदिर परिसर में मूर्ति की चमक लाने के लिए नारियल पानी से पॉलिश की गई है.

इससे पहले प्रधानमंत्री के आगमन से संबंधित व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री ने केदारनाथ का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज के प्रतिनिधियों से भी वार्ता की थी.

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