उत्तर प्रदेश

एस. जी. पी. जी. आई में”अस्पताल में संचार कौशल” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान मे आज “अस्पताल में संचार कौशल” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संचार और समन्वय की कमी के कारण रोगियों और उनके परिचारकों के साथ होने वाले झगड़ो को कम करने के लिए कर्मचारियों में अच्छे संचार कौशल को विकसित करने की आवश्यकता को तीव्रता से महसूस किया जा रहा था और इसी क्रम में 14 फरवरी को प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
जनसंपर्क विभाग द्वारा आज 4 जून को डॉ. हरगोबिंद खुराना ऑडिटोरियम, (लेक्चर थिएटर 1)में इसी श्रृंखला के दूसरे कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रिसेप्शनिस्ट, जूनियर रिसेप्शन अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता, वार्ड मे कार्यरत नर्सिंग स्टाफ और स्वागत पटल, पंजीकरण काउंटर, ओ पी डी में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर्स ने भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने अस्पताल में संचार कौशल के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम अस्पताल के कर्मचारियों में इन गुणों को विकसित कर सकते हैं। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के साथ सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता को दोहराया, चाहे उसकी सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक स्थिति कुछ भी हो। उन्होंनेे कहा कि संस्थान के सभी स्वास्थ्यकर्मियों में अपने कनिष्ठ सहयोगियों के प्रति भी सम्मान व संवेदना होना चाहिए।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल ने रोगियों के दृष्टिकोण और उनकी भावनाओं को समझने के लिए बेहतर संचार कौशल की आवश्यकता पर बल दिया। । इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में आने वाले मरीज अपनी बीमारी से व्यथित होते हैं और उनकी उचित देखभाल की जानी चाहिए. रोगी उग्र व्यवहार कर सकते हैं लेकिन उनकी देखभाल करने वाले कर्मचारियों को अपने उदार और विनम्र व्यवहार से समस्या का समाधान करना चाहिए।

चिकित्सा अधीक्षक, प्रोफेसर वी के पालीवाल ने श्रवण कौशल पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने सक्रिय रूप से सुनने की आवश्यकता को बहुत प्रभावी ढंग से समझाया। सुनने ( hearing) और ध्यान देने ( listening) के बीच अंतर करते हुए उन्होंने कहा कि सूचना प्राप्त करने, उसकी व्याख्या करने और उचित प्रतिक्रिया उत्पन्न करने की क्षमता ही ध्यान से सुनना है। संचार कौशल में सक्रिय सुनना शामिल है जहां रोगी को सुनते समय धैर्यवान और सकारात्मक रहना पड़ता है। “रोगी के साथ सहानुभूति भी सक्रिय सुनने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,” उन्होंने कहा।
“अस्पताल में प्रभावी संचार कितना महत्वपूर्ण है”इस विषय पर बोलते हुए श्रीमती कुसुम यादव, जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि किसी भी अस्पताल में प्रभावी संचार कौशल के द्वारा हम रोगियों और उनके परिचारकों के सामाजिक निर्धारकों को जानकर उनकी हर संभव सहायता कर सकते हैं। इसी प्रकार प्रभावी संचार के द्वारा विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर रोगियों की समस्याओं को कम किया जा सकता है। ” करुणा, संवेदना व सहानुभूति ऐसे प्रमुख गुण हैं जो प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पास होने चाहिए।
उन्होंने रोचक तरीके से मौखिक और गैर-मौखिक संचार के महत्व को समझाया।

कार्यक्रम का समापन एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसे डॉ आर हर्षवर्धन, विभागाध्यक्ष, अस्पताल प्रशासन द्वारा खूबसूरती से संचालित किया गया था, जहां स्वास्थ्य कर्मियों ने कार्यस्थल पर आने वाली समस्याओं को पैनलिस्टों के साथ साझा किया गया और इसके समाधान भी सुझाये गये।
कार्यक्रम में संस्थान के लगभग 112 कर्मचारियों ने भाग लिया।

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