उत्तर प्रदेशलखनऊ

सीटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश-जयंत चौधरी में तकरार! अन्य विकल्पों पर भी कर रहे विचार

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनाव  से पहले समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के बीच गठबंधन पर अभी तक फैसला नहीं हो सका है. चर्चा है कि कि दोनों ही दलों के बीच सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है और एसपी राज्य में आरएलडी को ज्यादा सीट देने के पक्ष में नहीं है. वहीं जयंत चौधरी ने कहा कि वह सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे. लिहाजा अब इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं. वहीं ये भी चर्चा है कि जयंत चौधरी अन्य विकल्पों पर भी मंथन कर रहे हैं. असल में आरएलडी 50 सीटों की मांग एसपी से कर रही है जब कि अखिलेश यादव 30-32 सीटों को लेकर राजी है. लिहाजा बताया जा रहा है कि दोनों के बीच अभी तक गठबंधन को लेकर फैसला नहीं हो सका है.

दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन को देखते हुए जयंत चौधरी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है और पंचायत चुनाव में आरएलडी ने वेस्ट यूपी में अच्छा प्रदर्शन किया था. जिसके बाद जयंत चौधरी को उम्मीद है कि इस बार पार्टी सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. अगर आरएलडी की बात करें तो उसने 2002 में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और 14 सीटें जीतीं थी जबकि इस चुनाव में दो फीसदी वोट मिले. इसके बाद वह 2007 में अकेले चुनाव लड़ी थी और उसे 10 सीटें मिली और उसका वोट हिस्सेदारी बढ़कर चार फीसदी हो गई. लेकिन उसे सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा.

कांग्रेस से साथ मिलकर चुनाव लड़ चुकी है आरएलडी

वहीं 2012 के चुनाव में आरएलडी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और उसे नौ सीटें मिलीं जबकि उसकी वोट हिस्सेदारी कम हो गई और वह दो फीसद में सिमट गई. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में वह अकेले चुनाव लड़ी और उसे दो फीसदी वोट तो मिले. लेकिन एक ही सीट में उसे संतोष करना पड़ा. हालांकि आरएलडी का एकमात्र विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गया था.

कांग्रेस से गठबंधन की थी चर्चा

पिछले दिनों ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद राज्य में चर्चा थी की आरएलडी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है. राज्य में कांग्रेस का किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं हुआ है. वहीं कांग्रेस की तरफ से आरएलडी को ऑफर देने की भी चर्चा था. लेकिन बाद में जयंत चौधरी ने इस बात को खारिज कर दिया था कि वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

जाट-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा

बताया जा रहा है कि जयंत चौधरी फिलहाल राज्य में चुनाव के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि पश्चिमी यूपी में जाट-सिखों और मुसलमानों के लामबंद होने के कारण उनसें फायदा मिल सकता है और इसके जरिए आरएलडी अपना वजूद राज्य के पश्चिम क्षेत्र में बचा सकती है.

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