प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वर्चुअली तरीके से 18वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) और हिंद प्रशांत के लिए आसियान का दृष्टिकोण (एओआईपी) इस क्षेत्र में उनके साझे नजरिए एवं आपसी सहयोग की रूपरेखा हैं. उन्होंने कहा कि आसियान की एकता और केंद्रीयता भारत के लिए सदैव एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है. आसियान की ये विशेष भूमिका भारत की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा है जो ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) नीति में निहित है.
बाद में विदेश मंत्रालय ने बताया कि आज 18वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर, आतंकवाद समेत सामान्य हित और चिंता के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को भी शामिल किया गया. विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि इस दौरान नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता, सुरक्षा और सुरक्षा को बनाए रखने और बढ़ावा देने और नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के महत्व की पुष्टि की. डिजिटल तरीके से होने वाले इस सम्मेलन में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष/शासनाध्यक्ष ने भाग लिया. ये सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है, जो आसियान और भारत को शीर्ष स्तर पर संवाद का मौका प्रदान करता है.
कारोबार एवं निवेश पर प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिये ठोस एवं विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को रेखांकित किया और इस संदर्भ में भारत आसियान मुक्त कारोबार समझौते का उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत समुद्री पहल और आसियान का हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए दृष्टिकोण इस क्षेत्र में ‘‘हमारे साझा दृष्टिकोण और आपसी सहयोग’’ का ढांचा है. उन्होंने कहा कि 2022 में भारत और आसियान की साझेदारी को 30 साल पूरे हो जाएंगे और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को ‘आसियान-भारत मित्रता वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा.
At 18th India-ASEAN Summit today, the discussions also covered regional & international issues of common interest & concern, including South China Sea & terrorism: Ministry of External Affairs
— ANI (@ANI) October 28, 2021
‘भरोसेमंद सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की’
मंत्रालय के बयान के अनुसार आसियान देशों के नेताओं ने क्षेत्र में भरोसेमंद सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका की सराहना की, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान टीके की आपूर्ति के संबंध में. बयान के अनुसार आसियान देशों के नेताओं ने हिन्द प्रशांत में आसियान की प्रमुखता को लेकर भारत के समर्थन का स्वागत किया और क्षेत्र में भारत आसियान सहयोग को बढ़ावा देने की उम्मीद जताई. इसमें कहा गया है कि भारत आसियान संपर्क को मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने आसियान सांस्कृतिक धरोहर सूची स्थापित करने में भारत के सहयोग की घोषणा की.
हर साल आयोजित किया जाता है आसियान-भारत शिखर सम्मेलन
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है और ये भारत और आसियान को उच्चतम स्तर पर जुड़ने का अवसर प्रदान करता है. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में 17वें आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस बार उन्होंने 9वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. 2005 में अपनी स्थापना के बाद से इसने पूर्वी एशिया के रणनीतिक और भू-राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 10 आसियान सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस शामिल हैं.
At 18th India-ASEAN Summit today, the discussions also covered regional & international issues of common interest & concern, including South China Sea & terrorism: Ministry of External Affairs
— ANI (@ANI) October 28, 2021
2022 में आसियान-भारत के संबंधों के 30 साल होंगे पूरे
भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का संस्थापक सदस्य होने के नाते, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को मजबूत करने और समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. ये आसियान आउटलुक ऑन इंडो पैसिफिक (एओआईपी) और इंडो-पैसिफिक ओशन इनीशिएटिव (आईपीओआई) के जुड़ने से संबंधित भारत-प्रशांत में व्यावहारिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है. साल 2022 में आसियान-भारत के संबंधों के 30 साल पूरे हो रहे हैं.