उत्तर प्रदेश

एसजीपीजीआइएमएस में कोरोनरी इंटरवेंशन केस का प्रदर्शन।

500 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के डॉक्टरों ने लिया भाग।

लखनऊ:संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलॉजी विभाग ने 31 जुलाई 2022 को एक 60 वर्षीय पुरुष में एक जटिल कोरोनरी इंटरवेंशन केस का प्रदर्शन किया। इस केस का लाइव ट्रांसमिशन प्रतिष्ठित एसीवीएस इंडिया साउथ एशिया 2022 में किया गया . यह कांफेरेंस भारत की प्रमुख इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी कॉन्फरेन्सेस में से एक है और इसका आयोजन हैदराबाद में किया गया था। इसमें भारत और विदेश के 500 से अधिक प्रमुख इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट ने विचारों का आदान-प्रदान किया और एक दूसरे के साथ एक हाइब्रिड प्लेटफॉर्म पर वार्ता की।

रोगी को मुख्य कोरोनरी धमनी (left main coronary artery), left anterior descending: LAD and circumflex: Cx arteries) में ब्लॉकेज थी. कार्डियोलॉजी टीम के सदस्यों (प्रोफ़ेसर आदित्य कपूर, कार्डियोलॉजी के प्रमुख, प्रो सत्येंद्र तिवारी, प्रो सुदीप कुमार, डॉ रूपाली खन्ना और डॉ अंकित साहू सहित) के बीच विस्तृत चर्चा और योजना निति के बाद नवीनतम कोरोनरी इमेजिंग का मार्गदर्शन लेते हुए एक कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की गई। इस केस में imaging (IVUS इंट्रावस्कुलर इमेजिंग) और OCT (ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी) का बखूबी उपयोग किया गया ।

कार्डियोलॉजी के प्रमुख प्रो आदित्य कपूर ने बताया कि इन इमेजिंग techniques के उपयोग से कोरोनरी एनाटॉमी, प्लाक संरचना और कोरोनरी वैस्कुलर बेड के अन्य पहलुओं को चित्रित करने में मदद मिलती है जो साधारण कोरोनरी एंजियोग्राफी द्वारा नहीं देखे जाते हैं। प्रारंभिक आईवीयूएस इमेजिंग के बाद, लाइव प्रसारण में उपस्थित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संकाय के साथ चर्चा की गई । प्रो सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि Case की रणनीति तय हो जाने के बाद पहले circumflex artery में स्टेंट डालकर ठीक किया गया। इसके बाद मुख्य धमनी यानी LAD और left main कोरोनरी धमनी में स्टेंट डाले गए।

इस जटिल प्रक्रिया की पेचीदगियों के बारे में बताते हुए, प्रो सुदीप कुमार ने विस्तार से बताया कि careful planning ऐसे मामलों में सफलता की कुंजी है क्योंकि अक्सर ऐसे केसेस में कोरोनरी धमनियों में कई वायर और बैलून डालने पड़ते है । डॉ रूपाली खन्ना ने कहा कि इन स्थितियों में आईवीयूएस या ओसीटी का उपयोग करके इमेजिंग न केवल आवश्यक है, अपितु स्टेंट आकार को समझने के लिए अनिवार्य भी है. Imaging से साफ पता चलता है की कि क्या स्टेंट अच्छी तरह से लगाया गया और कोरोनरी धमनी की दीवार पर पर सही से फूल गया की नहीं। इस पर जोर देते हुए डॉ अंकित साहू ने समझाया कि इस मामले में भी, ओसीटी द्वारा एक अंतिम इमेजिंग विश्लेषण किया गया था ताकि स्टेंट के सारे dimension और measurement लिए जा सके ।

लाइव पोर्टल पर पैनल के सदस्यों ने इस मामले में दोहरी इमेजिंग तौर-तरीकों (आईवीयूएस और ओसीटी) के उच्चतम प्रयोग की सराहना की और case के result से बेहद प्रभावित हुए।

एसजीपीजीआईएमएस के निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमान ने कार्डियोलॉजी टीम को बधाई दी और कहा कि इस लाइव केस के सफल प्रदर्शन ने कार्डियोलॉजी विभाग के लिए एक और उपलब्धि हासिल की है।

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