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भावनाओं के भंवर में फसे हैं शिवपाल, रद्द की अपनी सामाजिक परिवर्तन यात्रा

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव ने पिछले सभी कलहों को दरकिनार करते हुए मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन करने की इच्छा व्यक्त की और भतीजे अखिलेश यादव से जल्द ही निर्णय लेने का आग्रह किया है। शिवपाल कहा है कि सपा चाहे गठबंधन करे या विलय, उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए और सीटों का बंटवारा सम्मानजनक तरीके से किया जाना चाहिए। दरसअल शिवपाल यादव भावनाओं के भंवर में फंसे हुए हैं और उन्हें लग रहा है कि 22 नवंबर को नेताजी के जन्मदिवस पर लंबे समय से चाचा-भतीजे के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो सकता है। शिवपाल को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वो चाहते हैं कि किसी तरह सुलह हो जाए और भतीजे के मुख्यमंत्री बनने की राह में वो खुद रोड़ा न बनें तो बेहतर है।

दरअसल शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव के साथ सामाजिक परिवर्तन के तहत चार चरण की यात्रा निकाल चुके हैं। पांचवा चरण 14 को पूरा हो जाएगा। इसके बाद उनकी यात्रा का छठवां चरण 17 नवंबर और सातवां चरण 24 नवंबर को शुरू होना था लेकिन फिलहाल इसे स्थगित कर दिया गया है। रथयात्रा के दोनों चरण रद्द किए जाने के पीछे सैफई में 22 नवंबर को मुलायम सिंह के जन्मदिवस को बताया जा रहा है। सैफई परिवार को करीब से जानने वालों का दावा है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्यों ने दोनों लोगों (शिवपाल-अखिलेश) से बात की है। ऐसे में शिवपाल यह कतई नहीं चाहते कि अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने की राह में वह रोड़ा बने। ऐसे में उन्होंने दरियादिली दिखाते हुए यात्रा के दोनों चरण स्थगित किए हैं। 22 नवंबर के बाद ही वो आगे की रणनीति बनांगे।

पिछले दो साल से अलग रह रहे शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच विलय की बात चल रही है। 2022 के यूपी चुनावों से पहले सुलह का संकेत देते हुए अखिलेश यादव ने रविवार को घोषणा की थी कि उनकी पार्टी पीएसपी के साथ गठबंधन करेगी और चाचा यादव को ‘पूरा सम्मान’ देगी। अखिलेश यादव ने कहा, “समाजवादी पार्टी का प्रयास रहा है कि वह छोटे दलों के साथ गठबंधन करे। स्वाभाविक रूप से, हम चाचा शिवपाल यादव की पार्टी के साथ भी गठबंधन करने जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी उन्हें पूरा सम्मान देगी।”

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव और उनके भाई शिवपाल यादव के बीच 2016 में पार्टी की बागडोर संभालने को लेकर एक बड़े आंतरिक-पार्टी विद्रोह के बीच फंस गए थे। मुलायम सिंह के साथ परिवार की लड़ाई नियंत्रण से बाहर हो गई थी। भाई शिवपाल ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चचेरे भाई राम गोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया। यूपी चुनाव 2017 से पहले सपा दो हिस्सों में बंट गई थी क्योंकि मुलायम और अखिलेश दोनों ने चुनाव के लिए 235 उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची जारी की थी। अंतत: अखिलेश को बहाल कर दिया गया।

अखिलेश ने तुरंत अपने चाचा को बाहर कर दिया और पार्टी प्रमुख के रूप में अपने पिता की जगह ले ली। चुनावों में, भाजपा ने 300 से अधिक सीटें जीतकर और 403 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सपा को केवल 47 सीटों तक सीमित करके योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त करके शानदार जीत देखी। नाराज शिवपाल ने अपनी पार्टी-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई, जिसे आधिकारिक तौर पर अक्टूबर 2018 में मान्यता दी गई।

इस दौरान शिवपाल यादव का समाजवादी पार्टी और परिवार से अलग होने का दर्द भी देखने को मिला। उन्होंने कहा कि हमने नेताजी के साथ 40-45 साल काम किया है। वे पार्टी के अध्यक्ष भी थे। अगर हमें कोई समस्या आती है तो हमें दूसरे राज्य में भेज दें, जहां हम पार्टी के लिए काम करेंगे। हमारे पास कृषि और अन्य नौकरियां भी हैं। हम सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हैं। शिवपाल यादव ने कहा कि अगर वे नेताजी के साथ हमारे अधिकारों को समझते हैं तो उन्हें नेताजी और सपा के वरिष्ठ नेताओं की बात सुननी चाहिए।

शिवपाल यादव ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अगर सपा के साथ गठबंधन संभव नहीं है तो हम छोटी पार्टियों वाली राष्ट्रीय पार्टी के साथ जा सकते हैं। शिवपाल ने कहा कि हमने कहा है कि अखिलेश आप मुख्यमंत्री बनें, हम आपके साथ हैं, लेकिन जो हमारे साथ हैं और चुनाव जीत सकते हैं, उन्हें टिकट दें, हमें लोगों का सम्मान करना चाहिए। गठबंधन करना है तो जोड़ो। अगर गठबंधन में कोई दिक्कत है तो हम विलय को तैयार हैं, लेकिन जो हमसे पीछे हैं उन्हें पहले सम्मान मिलना चाहिए।

शिवपाल यादव ने कहा कि मैंने तो यहां तक ​​कह दिया है कि अगर आप मुझे टिकट नहीं देना चाहते हैं, तो मुझसे लड़ाई नहीं करना चाहते, अगर हमारे ऊपर कोई शक है तो मैं अपना दूसरा काम देखूंगा, मुझे कहीं और भेज दो। शिवपाल ने कहा कि हम पुराने इतिहास में नहीं जाना चाहते। सबको साथ लेकर इतिहास बनाना चाहते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य भाजपा को हटाना है। इसके लिए वे समाजवादी पार्टी के साथ किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं।

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