नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के विरोध में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 15 विपक्षी दलों के नेताओं ने आज संसद से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी विपक्ष के पैदक मार्च में शामिल हुए. इस दौरान नेताओं के हाथों में पोस्टर/ बैनर थे. बैनर पर ‘हम किसान विरोधी काले कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं’ लिखा हुआ था. विपक्षी नेताओं ने ‘जासूसी बंद करो’, ‘काले कानून वापस लो’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे भी लगाए. संसद परिसर में मौजूद गांधी स्टैच्यू के पास से पैदल मार्च निकाला गया.
विपक्षी दलों का पैदल मार्च
इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि संसद में विपक्ष को बात करने का मौका नहीं दिया गया. सदन में लोकतंत्र की हत्या हुई है. जनता की आवाज दबाई जा रही है. देश की 60% जनता की आवाज नहीं सुनी गई.
राहुल गांधी का बयान
कांग्रेस सांसद ने कहा, हमने सरकार से पेगासस पर बहस करने के लिए कहा, लेकिन सरकार ने पेगासस पर बहस करने से मना कर दिया. हमने संसद के बाहर किसानों का मुद्दा उठाया और हम आज यहां आपसे (मीडिया) बात करने आए हैं क्योंकि हमें संसद के अंदर नहीं बोलने दिया गया. ये देश के लोकतंत्र की हत्या है. वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि बीते दिनों राज्यसभा में मार्शल लॉ लगाया गया, ऐसा लग रहा था कि हम पाकिस्तान की सीमा पर खड़े थे. सरकार हर दिन लोकतंत्र की हत्या कर रही है, हम इस सरकार के खिलाफ लड़ते रहेंगे.
इससे पहले, विपक्षी नेताओं की बैठक में खड़गे, राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, द्रमुक के टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में पेगासस जासूसी मामला, कृषि कानून, महंगाई और बुधवार को राज्यसभा में सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में विधेयक पारित कराये जाने तथा कुछ महिला सांसदों के साथ कथित धक्कामुक्की को लेकर भी चर्चा की गई.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को आरोप लगाया कि सदन में विरोध प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्ष की महिला सदस्यों के साथ धक्कामुक्की की और उनका अपमान किया। हालांकि सरकार ने उनके आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सत्य से परे है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने 55 साल की संसदीय राजनीति में ऐसे स्थिति नहीं देखी कि महिला सांसदों पर सदन के भीतर हमला किया गया हो.