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56 भोग त्याग कर श्री कृष्ण ने यहां खाया था साग, जन्माष्टमी में देश के कोने-कोने से आते हैं लोग

बिजनौर (Bijnor) जिले की विदुर कुटी (Vidur kuti) का पौराणिक दृष्टि से बहुत ही बड़ा महत्व है. यहां पर महात्मा विदुर (Vidur) हस्तिनापुर (Hastinapur) छोड़कर आए थे और भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) भी उनसे मिलने के लिए यहां आए थे. भगवत गीता (Bhagwat Geeta) में स्पष्ट श्लोक लिखा हुआ है कि दुर्योधन (Duryodhan) का 56 भोग त्याग कर भगवान श्री कृष्ण ने विदुर के घर पर साग खाया था.

देश के कोने-कोने से आते हैं लोग 

विदुर कुटी मंदिर के पुजारी राजकुमार ने बताया उत्तर प्रदेश के बिजनौर में स्थित विदुर कुटी वो ऐतिहासिक भूमि है, जहां पर दुर्योधन का मेवा छोड़ श्री कृष्ण ने बड़े चाव से महात्मा विदुर के यहां बथुए का साग खाया था. इसका वर्णन महाभारत में भी मिलता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं.

महात्मा विदुर हस्तिनापुर छोड़कर गंगा के किनारे आ गए

विदुर कुटी के बारे में कहावत है कि भगवान श्री कृष्ण विदुर कुटी पर विदुर काका से मिलने आए थे. महाभारत में वर्णित पंक्ति ‘दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो’ इसी ऐतिहासिक स्थल से जुड़ी है. कहते हैं महाभारत के युद्ध से पहले धृतराष्ट्र ने विदुर से महाभारत का युद्ध टालने के लिए नीति बताने का अनुरोध किया था, किंतु धृतराष्ट्र पुत्र मोह में फंसकर उस नीति को नहीं अपना सके, जिसका परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ. इसके बाद महात्मा विदुर हस्तिनापुर छोड़कर गंगा के किनारे एक टापू पर अपनी कुटिया बनाकर रहने लगे. यही कुटिया बाद में विदुर कुटी के नाम से प्रसिद्ध हुई.

12 माहीने होता है बथुआ

महात्मा विदुर की तपोस्थली पर जिस बथुए का साग भगवान श्री कृष्ण ने खाया था वो आज भी 12 माहीने विदुर कुटी पर हरा-भरा रहता है. हालांकि, विदुर कुटी से गंगा की धारा लगभग एक किलोमीटर दूर बह रही है, लेकिन वर्ष में एक बार विदुर की तपोस्थली को स्पर्श करने के लिए गंगा एक बार यहां अवश्य आती है.

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