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हत्या के मामलों में टॉप पर रहा उत्तर प्रदेश, पढ़िए NCRB के ताजा आंकड़ों का गणित और सरकारी दावों की पोल

2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में नामी अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गए 9 पुलिसकर्मियों को मार दिया गया था. रात के अंधेरे में अपराधियों ने पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, इस घटना में 9 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. वहीं 20 जुलाई को अपनी दो बेटियों के साथ घर वापस लौट रहे पत्रकार विक्रम जोशी पर बदमाशों ने हमला कर दिया था. अपराधियों ने उनके सिर में गोली मारी थी, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी. यूपी में हत्या की इन वारदातों ने अपराधियों के बेखौफ होने के साथ ही अपराध की स्थिति भी उजागर कर दी. इन अपराधों की प्रामाणिकता को साबित करते हुए कुछ आंकड़े हाल ही में NCRB ने जारी किए हैं. रिपोर्ट में यूपी में साल 2020 में अपराध के बढ़ते ग्राफ को दिखाया गया है.

यूपी में 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज

साल 2019 की तुलना में राज्य में साल 2020 में अपराध के ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान साल 2020 में यूपी में कुल 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए. संज्ञेय अपराध का मतलब ऐसे क्राइम से है, जिसमें गिरफ्तारी के लिए पुलिस को किसी भी वारंट की जरूरत नहीं होती है. इनमें आईपीसी के तहत दर्ज किए जाने वाले अपराधों की संख्या 42,54,356 रही. वहीं विशेष स्थानीय कानून के तहत दर्ज किए गए मामले 23,46,929 हैं.

एनसीआरबी द्वारा आंकड़ों के मुताबिक किडनैपिंग के मामलों में देशभर में 2019 की तुलना में कमी दर्ज की गई है. लेकिन फिर भी 2020 में सबसे ज्यादा मामले 12,913 यूपी में दर्ज किए गए हैं. दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल में 9,309 मामले दर्ज किए गए हैं. दिल्ली में सबसे कम 4062 मामले दर्ज किए गए हैं. आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में यूपी में हत्या के 3779 केस दर्ज किए गए. साल 2019 की तुलना में इसमें 1 फीसदी का इजाफा हुआ है. लेकिन इसी अवधि में दिल्ली में हत्या के सबसे कम सिर्फ 472 मामले दर्ज किए गए हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि कोरोना महामारी के बाद भी यूपी में हत्या के मामलों पर लगाम नहीं कस सकी. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट इस बात का उदाहरण है.

5 सालों में यूपी में हत्या के दर्ज मामले

साल-2016-   4889 मामले दर्ज

साल-2017-  4324 मामले दर्ज

साल 2018-  4018 मामले दर्ज

साल 2019-  3806 मामले दर्ज

साल 2020- 3779 मामले दर्ज

साल 2020 में यूपी में हत्या के 3,779 मामले दर्ज किए गए . जब कि 2019 में 3806 मामले सामने आए थे. इस हिसाब से 2019 के मुकाबले इस साल हत्या के मामलों में कमी जरूर देखी गई है. यूपी में हत्या के पिछले 8 सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो साल 2020 में यह आंकड़ा सबसे कम रहा है. साल 2013 में उत्तर प्रदेश में 5047 मामले दर्ज किए गए थे. इसका मतलब साफ है कि पिछले 8 सालों में यूपी में हत्या के 1268 मामले कम हुए हैं.

 17 दिनों के भीतर रेप के 2 मामले दर्ज

14 सिंतबर को हाथरस के एक छोटे से गांव में दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.  रेप के साथ ही उसके साथ हैवानों वाला सुलूक भी किया गया. आखिरकार पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई. वहीं 1 अक्टूबर को भदोही में एक दलित नाबालिग की रेप के बाद सिर कुचलकर हत्या कर दी गई थी. 14 साल की लड़की खेत में शौच के लिए गई थी. उसी दौरान दुष्कर्म के बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की प्रामाणिकता को NCRB के ताजा आंकड़े साबित कर रहे हैं.

हालांकि कोरोना लॉकडाउन के दौरान साल 2020 में रेप के मामलों में पहले के मुकाबले कमी दर्ज की गई है. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2020 में रेप के 2769 मामले दर्ज किए गए थे. जब कि अगर साल 2019 की बात की जाए तो 3065 मामले सामने आए थे. पिछले 8 सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो 2016 में यूपी में रेप के सबसे ज्यादा 4816 मामले दर्ज किए गए थे. 2013 में यह आंकड़ा 3050 था, जो कि 2020 के आंकड़ों से 15 अंक कम था.

महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,71,503 मामले

लेकिन अगर यूपी में महिला उत्पीड़न, रेप, हत्या, लूट, डकैती और किडनैपिंग जैसी घटनाओं की बात की जाए तो यूपी में क्राइम के आंकड़ों मे पहले के मुकाबले कमी देखी गई है. महिलाओं से संबंधित क्राइम में पिछले 8 सालों में करीब 10 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक महिला रिलेटेड अपराध के मामले में यूपी 16वें नंबर पर है. जब कि 2020 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,71,503 मामले दर्ज किए गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हर 2 घंटे में रेप का एक केस दर्ज किया जाता है. वहीं बच्चों के खिलाफ रेप का एक मामला हर 90 मिनट में दर्ज किया जाता है. लेकिन अगर 2018 के आंकड़ों की बात की जाए तो हर रोज करीब रेप के 12 मामले दर्ज किए जा रहे थे.

5 सालों में यूपी में रेप के दर्ज केस

साल 2016- 4816 मामले दर्ज

साल 2917- 4246 मामले दर्ज

साल 2018- 3964 मामले दर्ज

साल 2019- 3065 मामले दर्ज

साल 2020- 2769 मामले दर्ज

एक तरफ योगी सरकार लगातार अपराध मुक्त यूपी का दावा कर रही है. वहीं जब एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट जारी हुई तो विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया. प्रियंका गांधी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हत्या, किडनैपिंग और महिलाओं और दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में यूपी टॉप पर है. प्रियंका गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि यूपी सरकार के दावों के उलट राज्य में अपराध चरम पर है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार हमेशा दावा करती आई है कि यूपी अपराध मुक्त है और महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन NCRB की रिपोर्ट कुछ और ही स्थिति बयां कर रही है.

‘महिला अपराध के मामले में यूपी टॉप पर’

‘यूपी में क्राइम पर कसी लगाम’

वहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के उलट यूपी सरकार का कहना है कि राज्य में क्राइम पर लगाम लगी है. सरकार का कहना है कि राज्य की आबादी के लिहाज से पूरे देश की तुलना में ये आंकड़े कम हैं. लगातार हो रहे एनकाउंट और कड़े कानूनों की वजह से यूपी क्राइन पहले के मुकाबले काफी कम हुआ है.

वहीं एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहाकि पिछले 4 सालों में यूपी में क्राइम काफी कम हुआ है. उनका कहना है कि योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है. इसी वजह से अपराध में काफी कमी आई है. उनका कहना है कि 2016 से 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक हत्या के मामलों में 25.70 फीसदी की कमी आई है. वहीं रेप के मामलों में 32.24 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.

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