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संभल के इस गांव में 300 साल से भाईयों ने बहनों से नहीं बंधवाई राखी, जानें क्या है वजह

देशभर में जहां बहनें अपने भाइयों की राखी (Rakhi) बांधेंगी वहीं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) के बैनीपुर चक गांव में भाइयों की कलाई सूनी रहेगी. इसका कारण है कि यहां के लोगों का मानना है कि राखी बांधने के बदले देने वाले उपहार में उनकी जायदाद न मांग ली जाए. यहां के लोग बड़ी संख्या में ये बात मानते हैं. यहीं वजह है कि यहां पिछले 300 सालों से ज्यादा समय से राखी नहीं मनाई जाती.

संभल से आदमपुर मार्ग पर पांच किलोमीटर दूर बैनीपुर चक गांव श्रीवंशगोपाल तीर्थ की वजह से प्रसिद्ध है. लेकिन गांव में राखी नहीं मनाने की मानयता के कारण भी ये गांव जाना जाता है. इसके पीछे मान्यता के बारे में गांव में लोगों ने बताया की उनके पूर्व अलीगढ़ में अतरौली के सेमरई गांव के जमींदार थे.

ये है वजह

हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके परिवार में कोई बेटी नहीं थी. इसी वजह से परिवार के बेटे गांव की दूसरी जाति के परिवार की बेटियों से राखी बंधवाने लगे. राखी पर एक बेटी ने राखी बांधकर उपहार में परिवार की जमींदारी मांग ली थी. परिवार ने राखी का मान रकते हुए गांव की जमींदारी दूसरी जाति को सौंपकर गांव छोड़ दिया था. इसके बाद वो संभल के बैनीपुर चक में आकर बस गए. तभी से यादवों के मेहर और बकिया गोत्र के लोग राखी नहीं मनाते.

बहनें चाहती हैं कि वो भाइयों की कलाई पर राखी बांधे लेकिन सालों पुरानी परंपरा को मानते हुए वो भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधतीं. मेहर और बाकिया गोत्र के कुछ यादव परिवार गांव महोरा, बरवाली मढ़ैया, कटौनी और बहजोई इलाके के गांव अजीमाबाद और चाटन में बी रहते हैं, जो इस मान्यता को मानते हैं और राखी नहीं बंधवाते.

इन गांवों में भी नहीं मनाई जाती राखी

वहीं गन्नोर तहसील के गांव सैमला गुन्नौर, हदूदा, मखदूमपुर और टिगरूआ गांव में यादव जाति में ओढ़ा गोत्र के लोग रहते हैं. यहां के बुजुर्गों ने बताया कि करीब दो दशकों पहले एक बहन ने भाई को राखी बांधी थी. इसके बाद भाई की मौत हो गई. इसके बाद फिर ये परंपरा शुरू की गई लेकिन एक बड़े हादसे में कई लोगों की जान चली गई. लागातार हो रहे हादसों की वजह से लोगों किसी अनहोनी के डर से यहां राखी नहीं मानाते. बहजोई इलाके के चाटवन गांव में बी भाइयों की कलाइयां सूनी रहती है. क्योंकि यहां भी बाकिया गोत्र के यादव रहते हैं.

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