ताज़ा ख़बरदेश

चीफ जस्टिस ने उठाया ज्यूडिशयरी में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का मुद्दा, कहा- 26% अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने न्यायिक बुनियादी ढांचे को लेकर अपनी चिंताओं को उठाया. उन्होंने कानून मंत्री किरेन रिजिजू के साथ एक कार्यक्रम मंच साझा करते हुए ज्यूडिशयरी में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के मुद्दे पर बात रखी. इस दौरान उन्होंने यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव लिया जाए.

देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है. मुख्य न्यायधीश जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि जरूरत के मुताबिक लोगों को कोर्ट की शरण में जाने से संकोच नहीं करना चाहिए. मुख्य न्यायधीश जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि एक प्रभावी न्यायपालिका ही देश के प्रभावी विकास में सहायता कर सकती है. 2018 में प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय शोध के मुताबिक समय पर न्याय न मिलने की वजह से देश को GDP में 9 फीसदी सालाना का नुकसान उठाना पड़ता है.

कोर्ट की इन कमियों को किया जाना चाहिए दूर

मुख्य न्यायधीश जस्टिस एन वी रमना ने औरंगाबाद में हाईकोर्ट के एक कार्यक्रम में ज्यूडिशयरी में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पर कई चिंताओं को उठाया. मुख्य न्यायधीश एन वी रमना कहा कि देश के 26फीसदी अदालतों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है जबकि 16फीसदी अदालतों में पुरुषों के लिए शौचालय नहीं है. मुख्य न्यायधीश ने कहा कि देश के 46 फीसदी कोर्ट कॉम्प्लेक्सेज में शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. केवल 5फीसदी कोर्ट कॉम्प्लेक्सेज में मेडिकल सुविधा है. लगभग 50फीसदी न्यायालय परिसरों में पुस्तकालय नहीं है

मुख्य न्यायधीश एन वी रमना ने कानून मंत्री किरण रिजिजू से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव लाया जाए. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि भारत में अदालतों के लिए व्याया एक बुनियादी ढांचे को हमेशा नजरअंदाज किया गया. ऐसा इसलिए कि एक मानसिकता बन गई है कि देश में अदालतें भी जीर्ण शीर्ण संरचना में काम कर सकती हैं लेकिन इससे अदालतों की कार्य क्षमता प्रभावित होती है. न्यायिक बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रमुख प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, ‘मैंने केंद्रीय कानून मंत्री को प्रस्ताव भेजा है. मुझे जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है और केंद्रीय कानून मंत्री प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.’

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मौजूद रहे

यह दूसरी बार है जब मुख्य न्यायाधीश ने कानून मंत्री के साथ मंच साझा करते हुए न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे को लेकर अनुरोध किया है. पिछली बार हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों के लिए सरकार से शीघ्र मंजूरी लेने के मुद्दे पर बात हुई थी. औरंगाबाद में हुए इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए. इससे पहले, रिजिजू ने कहा था, ‘जब न्यायपालिका की बात आती है तो कोई राजनीति नहीं होती है. हम व्यवस्था के अलग-अलग अंग हैं लेकिन हम एक टीम हैं. राजनीति लोकतंत्र का सार है, लेकिन जब न्यायपालिका की बात आती है, तो कोई राजनीति नहीं होती है.’

मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा, ‘न्यायालय केवल अपराधियों के लिए ही नहीं बल्कि आम लोगों के लिए भी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह एक आम धारणा है कि केवल अपराधी या अपराध के पीड़ित ही अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं. लोग यह कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि हमने अपने जीवनकाल में कभी अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है. लेकिन यह उचित समय है कि हम अपने अधिकारों के लिए बेझिझक अदालतों तक पहुंचें और इन धारणाओं को खत्म करने का प्रयास करें. किसी को भी अदालत जाने में संकोच नहीं करना चाहिए.आखिरकार, न्यायपालिका में लोगों का विश्वास ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है.’

The Global Post

The Global Post Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 5 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button