उत्तर प्रदेशलखनऊ

मालएवेन्यू का नाम ‘कल्याणपुरम’ करने की मांग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम से माल एवेन्यू का नाम कल्याणपुरम करने की मांग लखनऊ के बुद्धिजीवियों की पुरानी एवं प्रतिष्ठित संस्था ‘विचार मंच’ ने की है। वक्ताओं ने कल्याण सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि उनके निधन से स्वर्णिम कल्याण-युग का अवसान हो गया है। लालकृष्ण आडवाणी एवं कल्याण सिंह ने पूरा युग बदल दिया था तथा रामजन्मभूमि-आंदोलन के जरिए उन्होंने हिंदुत्व को पुनर्जीवित कर दिया। जिस देश में हिंदू शब्द साम्प्रदायिक माना जाने लगा था तथा लोग अपने को हिंदू कहने में संकोच करते थे, वहां ‘गर्व से कहो, हम हिंदू हैं’ का नारा बुलंद हो गया।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रमुख समाजसेवी पासी विनोद राजपूत ने कहाकि कल्याण सिंह यद्यपि वंचितों के मसीहा थे। उन्होंने सम्पूर्ण हिंदू समाज को एकसूत्र में पिरोने का काम किया। वह इतने योग्य एवं कुशल प्रशासक थे कि उनका मुख्यमंत्रित्वकाल हमेशा स्वर्णकाल के रूप में याद किया जाता है। वह जब राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए तो वहां भी उन्होंने अपनी चमत्कारिक योग्यता का परिचय दिया तथा अनेक बुनियादी परिवर्तन कर राजस्थान के विश्वविद्यालयों की दशा सुधार दी थी तथा विश्वविद्यालयों को गुलामी की मानसिकता से भी मुक्त किया था।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ‘समाचार वार्ता’ के सम्पादक श्याम कुमार ने कहा कि पूरे देश में अधिकाधिक सड़कों, भवनों, योजनाओं आदि के नाम कल्याण सिंह के नाम पर किए जाने चाहिए। योगी सरकार जो नया एक्सप्रेसवे बनाने जा रही है, उसका नाम ‘बाबूजी कल्याण सिंह मार्ग’ रखा जाय। इसी प्रकार अलीगढ़ का नाम ‘कल्याणगढ़’ व अतरौली का नाम ‘कल्याणपुरी’ किया जाना चाहिए। लखनऊ में कल्याण सिंह मालएवेन्यू में रहा करते थे, अतः उसका नाम ‘कल्याणपुरम’ कर दिया जाय।

सुविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अम्बिका प्रसाद तिवारी ने कहाकि कल्याण सिंह ने हिंदुत्व का पुनर्जागरण तो किया ही, उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अत्यंत योग्य प्रशासक की भी अमिट छाप छोड़ी। प्रदेश की जर्जर अर्थव्यवस्था को उन्होंने बड़ी कुशलता से संभाला था। वरिष्ठ मजदूर नेता व विश्लेषक सर्वेश चंद्र द्विवेदी एवं समाजसेवी सुशीला मिश्र ने कहाकि बाबर ने हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए अयोध्या में मंदिर को ध्वस्त कर उसके अवशेषों से जिस बाबरी ढांचे का निर्माण किया था, यह कल्याण सिंह से मिला नैतिक बल ही था कि कारसेवकों ने उस ढांचे को गिराकर हिंदू अस्मिता को बल प्रदान किया। पीबी वर्मा, राजेश राय, राजीव अहूजा, डाॅ. हरिराम त्रिपाठी, राम सिंह तोमर आदि ने अपने विचार रखे।

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