बिना टेंडर के ही ‘नो पार्किंग’ से गाड़ी उठाने का दे दिया ठेका, कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

‘नो पार्किंग’ से गाड़ी उठाने के लिए दिए गए ठेके को लेकर नगर निगम में बड़ा मामला सामने आया है. एक RTI के जवाब में नगर निगम ने जो सूचना दी है उसने अधिकारियों की मंशा पर ही सवाल उठा दिए हैं. असल में नगर निगम ने एक निजी संस्था को बिना टेंडर ही नो पार्किंग से गाड़ी उठाने का ठेका दे दिया है. इसे लेकर ट्वीट करके मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव तक शिकायत की गई है. दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि एजेंसी वसूली के लिए कहीं से भी मनमाने ढंग से गाड़ी उठा लेती है. क्या है पूरा मामला पढ़ें ये रिपोर्ट.
RTI के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आया मामला
दरअसल, 9 मार्च को एक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार यानी RTI के तहत नगर निगम से कुछ जानकारियां मांगी थी. ये जानकारी नगर निगम की तरफ से नो पार्किंग से गाड़ी उठाने के ठेके से जुड़ी थी. इसका जवाब 10 अगस्त 2021 को दिया गया है. इसका जो जवाब नगर निगम ने दिया है, उसमे साफ है कि, नगर निगम ने ये काम मेसर्स ट्रिनिटी सर्विसेज संस्था को दिया है. इतना ही नहीं इसके लिए कोई टेंडर नहीं हुआ, बल्कि कोटेशन के माध्यम से 8 फरवरी 2021 को मार्च 2022 तक के लिए किया गया.
अखिलेश सिंह ने सरकार पर साधा निशाना
वहीं RTI से मिले इस जवाब को पूर्व विधायक व कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश सिंह ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि, लखनऊ नगर निगम ने नो पार्किंग ज़ोन में चार पहिया वाहन उठाने का एक साल का ठेका एक निजी कम्पनी को कोटेशन पर (बिना टेन्डर) दे दिया है, जो कि नियम विरूद्ध है. अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग को टैग कर सवाल भी किया है कि ये भ्रष्टाचार है या शिष्टाचार? अखिलेश सिंह ने कहा कि चेहतों को करोड़ों का काम मनमाने तरीके से दिया गया है.
वाह रे @UPGovt लखनऊ नगर निगम ने
नो पार्किंग ज़ोन में चार पहिया वाहन उठाने का एक साल का ठेका एक निजी कम्पनी को कोटेशन पर (बिना टेन्डर) दे दिया है।जो कि नियम विरूद्ध है। @ChiefSecyUP @myogioffice @NagarVikasUP ये भ्रष्टाचार है या शिष्टाचार है ?@ANI @PTI_News pic.twitter.com/0ro5veoWMz— Akhilesh P. Singh (@AkhileshPSingh) September 2, 2021
नगर आयुक्त का बयान- कुछ भी नियम विरुद्ध नहीं
वहीं, इस मामले में नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि, कुछ भी नियम विरुद्ध नहीं किया गया है. टेंडर कॉल किया गया था लेकिन जब लोग नहीं आते तो आफर के माध्यम से करते हैं. ये सब कंपीटिटिव प्रोसेस से होता है. उन्होंने कहा कि एजेंसी को निर्देश दिए थे कि सब डेटा ऑनलाइन रहेगा. अगर कोई अपना शुल्क ऑनलाइन भुगतान करना चाहे तो उसकी भी व्यवस्था होनी चाहिए. इसके लिए भी अपर नगर आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि जो समस्या हो दूर की जाए.
संस्था की मनमानी से लोग परेशान
वहीं, गाड़ियां उठाने वाली संस्था की मनमानी से लोग परेशान हैं. कुछ लोग जो अपनी गाड़ी छुड़ाने वापस पहुंचे उनसे जब हमने बात की तो दर्द छलक उठा. अपनी कार छुड़ाने के लिए चालान जमा करने पहुंचे सुशील मिश्र ने बताया कि, जहां उनकी गाड़ी खड़ी थी वहां और भी कई गाड़ियां थी. सभी गाड़ियां रोड से बिल्कुल किनारे खड़ी थी, लेकिन सिर्फ उनकी गाड़ी उठा लाये. जब ऑनलाइन चालान जमा करने के लिए पूछा तो बताया गया कि सिर्फ नकद होगा जिसकी पर्ची मिलेगी.
सुशील मिश्र का आरोप है कि, नो पार्किंग से गाड़ी उठाने के नाम पर मनमानी हो रही है. अपने मरीज को देखने सिविल अस्पताल पहुंचे दिलीप कुमार ने कहा कि अस्पताल के पास पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है, कोई मरीज को लाये या देखने जाए तो गाड़ी कहां खड़ी करे? दिलीप ने बताया कि, मजबूरी में अस्पताल के बाहर किनारे गाड़ी खड़ी की और 5 मिनट के अंदर ही उठा ली गयी. एक कार का जुर्माना 1 हज़ार रुपये है.