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बाराबंकी सड़क हादसा: दो विभागों की आपसी खींचतान में जा रही जनता की जान

लखनऊ: बाराबंकी में बुधवार को हुई सड़क दुर्घटना(road accident) में दो विभागों की लापरवाही का खामियाजा 19 लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ गया. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(national highways authority of india) और परिवहन विभाग(transport department ) केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्रालय(Ministry of Road Transport and Highways) के अंतर्गत आते हैं, फिर भी इनमें आपसी तालमेल नहीं है. बाराबंकी में हुई सड़क दुर्घटना(road accident) के लिए परिवहन विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की सड़क को जिम्मेदार मान रहा है, तो एनएचएआई बस में तय संख्या से कहीं ज्यादा यात्रियों को ढोने को लेकर परिवहन विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहा है. कुल मिलाकर इन दोनों विभागों की लापरवाही में आम जनता को पिसना पड़ रहा है.
परिवहन विभाग के अधिकारियों का तर्क
बाराबंकी में हुई भीषण सड़क दुर्घटना के लिए परिवहन विभाग के अधिकारी खस्ताहाल सड़क को जिम्मेदार मानते हैं. इस सड़क को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी एनएचएआई के पाले में डाल रहे हैं. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी घटना के लिए सीधे तौर पर एनएचएआई को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. अगर सड़क खराब न होती तो इतना बड़ा हादसा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. एनएचएआई वाहनों से टैक्स तो वसूलता है, लेकिन उसके बदले में सड़कों की हालत भी दुरुस्त नहीं कराता. इस कारण ही इस तरह की बड़ी घटनाएं होती हैं और लोगों की जान जाती है.
एनएचएआई के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बाराबंकी में हुई सड़क दुर्घटना के लिए एनएचएआई को दोषी माना है और उसके खिलाफ FIR भी दर्ज करा दी है. बाराबंकी में तैनात एआरटीओ प्रवर्तन राहुल श्रीवास्तव की तरफ से ये एफआईआर दर्ज कराई गई है. इसमें बाराबंकी हादसे के लिए सीधे तौर पर एनएचएआई को ही जिम्मेदार ठहराया गया है. परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद कहते हैं कि अगर सड़क दुरुस्त होती तो निश्चित तौर पर इतना बड़ा हादसा नहीं होता और लोगों की जान भी बच जाती.
…तो इसलिए खुद को जिम्मेदार नहीं मान रहे अफसर
इतना ही नहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों ने पूरे घटनाक्रम से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनके पास वाहनों को बंद करने के लिए थानों में जगह ही नहीं है. लखनऊ के प्रवर्तन दस्ते के अधिकारियों का कहना है कि चेकिंग के दौरान जिस थाने में वाहन बंद कराने जाते हैं, वहां पर पुलिस विभाग की तरफ से स्थान रिक्त न होने की बात कह दी जाती है. लिहाजा, चालान की कार्रवाई कर वाहन को छोड़ना पड़ता है.
नहीं होती परमिट निरस्तीकरण की कार्रवाई
चेकिंग के दौरान अवैध वाहनों पर परिवहन विभाग के अधिकारी कितनी मेहरबानी दिखाते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि अवैध बसों का एक नहीं बल्कि दर्जनों बार चालान हो जाता है, लेकिन इनका परमिट रद्द करने की कार्रवाई की ही नहीं जाती. माना जाता है कि अवैध बसें सड़क पर इसीलिए दौड़ती रहती हैं क्योंकि इनके दौड़ने का कमीशन संबंधित विभागीय अधिकारियों के पास समय पर पहुंचता रहता है. यही वजह है कि इन बसों के मालिक बिना किसी खौफ के सड़क पर बसें दौड़ाते रहते हैं और यात्रियों की जान से खिलवाड़ करते रहते हैं. बता दें कि बाराबंकी में जिस बस का हादसा हुआ था उसका एक नहीं बल्कि 32 बार चालान हुआ था.
इन थानों में बंद कराए जाते हैं वाहन
राजधानी में परिवहन विभाग के अधिकारी जब चेकिंग के दौरान अवैध वाहनों को सीज करते हैं तो उन्हें बंद करने के लिए लखनऊ में तीन थानों में ले जाया जाता है. इनमें वृंदावन सेक्टर 18, कल्ली पश्चिम और चिनहट का मटियारी थाना शामिल है. शहर के अंदर थानों में बड़े वाहनों को बंद करने की जगह नहीं मिल रही है.
ठंडे बस्ते में परिवहन थानों का प्रस्ताव
जब कोई दुर्घटना होती है तो परिवहन विभाग की यह दलील हमेशा सामने आती है कि थानों में वाहन बंद करने की जगह नहीं है, लेकिन इसके पीछे विभागीय लापरवाही साफ तौर पर उजागर होती है. पिछले कई सालों से परिवहन विभाग में परिवहन थाने खोलने का प्रस्ताव एक टेबल से दूसरे टेबल तक चक्कर लगा रहा है, लेकिन इस पर मुहर लगाने की जहमत जिम्मेदार उठाना ही नहीं चाहते. अगर परिवहन थाने खुल जाएं तो परिवहन विभाग के प्रवर्तन दस्तों की यह दलील खुद-ब-खुद खारिज हो जाएगी कि उन्हें अवैध वाहनों को बंद करने के लिए थाने में जगह नहीं है.
कुंभकर्णी नींद से जागे अधिकारी, अब कर रहे कार्रवाई की तैयारी
एक बस जो बिहार से लेकर दिल्ली तक निर्धारित सीटों से ढाई गुना तक यात्री भरकर दौड़ती रहती है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती. इतने लंबे रूट पर कई आरटीओ कार्यालय पड़ते हैं न जाने कितनी पुलिस चौकियां पड़ती हैं, थाने पड़ते हैं, लेकिन इन सब पर चढ़ावा चढ़ाते हुए अवैध बसों के मालिक अपनी बसों के लिए ग्रीन सिग्नल लेने में कामयाब हो जाते हैं. जब बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो कुंभकर्णी नींद से अधिकारी जाग जाते हैं और कार्रवाई की तैयारी शुरू कर देते हैं. बाराबंकी में हुई बड़ी दुर्घटना के बाद एक बार फिर अधिकारी नींद से जागे हैं और अब कड़ाई से अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान की तैयारी कर रहे हैं.
परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद का कहना है कि बाराबंकी की घटना काफी बड़ी है, लेकिन इसमें परिवहन विभाग का दोष नहीं है. परिवहन विभाग समय-समय पर अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई करता है. अब एक बार फिर सघन चेकिंग अभियान चलाकर डग्गामार बसों को बंद कराया जाएगा. उन पर कड़ी कार्रवाई होगी.

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