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बसपा का टिकट चाहिए तो देना होगा इंटरव्यू, हर सीट से लिए जाएंगे सिर्फ 10 आवेदन

लखनऊ: सूबे में चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है. राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. भाजपा और सपा की तैयारियों को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी ने भी प्रत्याशियों को लेकर कवायद शुरू की है. अबकी बार बसपा अपनी छवि को लेकर खासा सतर्क है. टिकट बंटवारे को लेकर बसपा ने अपना तरीका बदला है. चुनाव लड़ने के दावेदारों से आवेदन मांगे गए हैं. इसके साथ ही दलित और ब्राह्मण उत्पीड़न को भी बसपा चुनावी हथियार बनाएगी.

आवेदन के साथ देना होगा बायोडाटा

बसपा ने अपनी छवि बेदाग बनाने के लिए यूपी विधानसभा से पहले पारदर्शी व्यवस्था की तैयारी की है.  पुरानी बदनामियों से इतर इस बार बसपा खेमे में चुनाव लड़ने के दावेदारों से आवेदन मांगे गए हैं. बसपाइयों को एक प्रोफार्मा बताया गया है. आवेदन के साथ बायोडाटा देना होगा. बसपा सुप्रीमो ने हाल में ही ये साफ किया था कि बसपा खुद अपने चुनाव में पैसा लगाने वाले उम्मीदवारों को टिकट देती है. बसपा टिकट के बदले किसी से पैसे नहीं लेती है. यह अवश्य है कि सदस्यता के नाम पर कुछ लोगों से मजबूरी में एडवांस पैसे जमा कराने पड़ते हैं. जिससे दूसरे आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशियों की मदद की जाती है. कार्यकर्ता चंदा कर भी आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशियों की मदद करते हैं.

इसके अलावा आवेदन के साथ टिकट के लिए उम्मीदवार समाज के लिए क्या किया, बसपा के मिशन मूवमेंट में योगदान, कितने वर्षों का राजनीतिक जीवन, बसपा से जुड़ाव, राजनीति ही क्यों, परिवार के हालात, पेशा, किस विधानसभा से चाहत, वहां किए गए कार्यों का ब्योरा आदि देना होगा.

कार्यकारिणी में शामिल नेता लेंगे इंटरव्यू

आवेदन के लिए बसपा ने जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई है. वह कमेटी आवेदन पर विचार कर चुनाव के लिए बनाई कार्यकारिणी के पास भेजेगी. कार्यकारिणी में शामिल नेता आवेदन करने वाले का इंटरव्यू करेंगे. हर विभानसभा से दस आवेदन लिए जा रहे हैं. कमेटी और कार्यकारिणी दस आवेदकों में से आठ को फेल कर दो को पास करेंगी. फिर ये दो आवेदक नेताओं की कुंडली बसपा प्रमुख मायावती के पास पहुंचेगी. वहां से तय होगा कि कौन चुनाव लड़ने के काबिल है.

बेहतर छवि के नेताओं का खर्च उठाएगी पार्टी

बसपा ने ये भी साफ किया है कि यदि बसपा का कोई नेता बेहतर छवि का है, वह मजबूत प्रत्याशी हो सकता है लेकिन वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो पार्टी उसे ही प्रत्याशी बनाएगी और उसका चुनावी खर्च भी कुछ हद तक पार्टी दे सकती है. ऐसे में विपक्ष बसपा की मंशा पर सवाल उठा रहा है.

दलित और ब्राह्मण उत्पीड़न को बनाएगी हथियार

टिकट के तरीके बदलने के साथ ही बसपा विधानसभा चुनाव के लिए दलित और ब्राह्मण उत्पीड़न को भी बसपा चुनावी हथियार बनाएगी. प्रबुद्ध विचार गोष्ठी के बाद इस एजेंडे को धार दी जाएगी. इसमें बसपा के सेक्टर प्रभारी घटना स्थल पर जाएंगे और पीड़ित परिवारों से मिल कर विरोध जताने के साथ ही उनकी मदद भी करेंगे. इसके साथ ही बसपा अपने चुनावी सभाओं में यह भी बताएगी कि पिछले पांच सालों में कैसे दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों का उत्पीड़न किया गया है. हालांकि विपक्ष बसपा पर सवाल खड़े कर रहा है. बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों लखनऊ में ही रह कर यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं. ऐसे में बसपा का ये गेम प्लान विधानसभा चुनाव में कितना फायदा दिलाता है ये देखना होगा

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