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नेपाल ने छोड़ा पानी तो सरयू किनारे रहने वालों की बढ़ीं मुश्किलें, घर-बार छोड़कर टेंट में रहने को हुए मजबूर

बाराबंकी। जिंदगी के मुश्किल सफर में एड़ी चोटी का जोर लगाकर दो गज की छत नसीब हो पाती है और जब वही घरौंदा पानी से सराबोर हो जाए तो बैचेनी, घबराहट, डर, मुश्किलें, आँसू और मन को चिंताएं घेर लेती हैं. कलेजा बैठ जाता है. हालांकि हर साल की मशक्कत होने से जिंदगी ने बाढ़ के सांचे में खुद को ढाल तो लिया है लेकिन हर साल पानी सपनों को बहा ले जाता है और फिर उन्हें दोबारा बुनना पड़ता है.

नेपाल से पानी छोड़ा गया तो सरयू ने रौद्र रूप ले लिया. पानी के तेज बहाव से बाराबंकी के रामनगर में सड़क कट गयी है और आस पास के सुंदर नगर, लल्लन पुरवा सहित कई गांवों में पानी घुस गया है. सुंदर नगर गांव में लगभग 300 आबादी है.

पानी भरने से ज्यादातर लोग गाँव छोड़कर ऊंची जगहों पर पहुंच गए हैं, लेकिन कुछ लोग अभी घरों में ही रह रहे हैं. शमशेर सिंह के परिवार में आधा दर्जन लोग हैं, इनमें कई छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. अब इन्हें लेकर वो गांव के बाहर जाना नहीं चाहते और गांव में पानी लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में डर लगता है, लेकिन मेहनत से बनाया मकान छोड़ने को तैयार नहीं हैं. इनके पड़ोस में रहने वाली महिला बताती है, हर साल ऐसा ही हाल होता है. अगर गांव के लोगों को कहीं और जमीन दे दें तो जिंदगी बच जाए.

नाव को चलाने के लिए पानी निकालते रहते हैं

कई गांव ऐसे है जो पानी से घिर गए है. उनके जानवर भी गांव में है. ऐसे में अब घर द्वार जानवर कैसे छोड़े. एक नाव के सहारे जिंदगी दौड़ रही है और उस नाव में भी छेद है. नाव पर भूसा रखकर ला रहे लोगों ने बताया कि नाव जब चलती है तो एक आदमी नाव से पानी निकालता रहता है. कुछ लोग हर रोज गांव से आने जाने के लिए गले तक डूबकर गांव जाते हैं.

गांव के बाहर रह रहे लोग

गांव वाले बताते है कि हर साल आने वाले इस दुख को कोई दूर करने नहीं आता. यहां तक कि विधायक लोग भी राजनीति के चलते यहां सहूलियत नहीं देना चाहते. बाढ़ भी मुश्किलें देती है और बाढ़ के बाद भी हालत खराब हो जाती है. गांव के बाहर सैकड़ों परिवारों ने बसेरा बना रखा है. खाने पीने का इंतजाम तो हो रहा है, लेकिन जिंदगी की मुश्किलें सिर्फ यही तो नहीं हैं. लल्लनपुरवा गांव के लोगों ने बताया कि घरों को छोड़कर यहां पन्नी में रहने में डर लगता है. लेकिन मजबूरी में रह रहे हैं.

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