दस्तक अभियान

देश और प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रकार के द्वारा समय-समय पर तमाम तरह के अभियान चलाए जाते हैं । जिसमें जनता की कठिनाइयों के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है । जिससे वह गंभीर बीमारी से बचे रहें । इस समय ऐसा ही एक अभियान “दस्तक अभियान” के नाम से चल रहा है। यह संचारी रोग महाअभियान के अंतर्गत आता है । यह अभियान 1 माह तक चलाया जाता है इसमें 15 दिन “दस्तक अभियान” चलाया जाता है । जिसमें आशाएं घर घर पहुंच कर लोगों का कुशलक्षेम पूछते हुए उनके स्वास्थ्य के विषय में जानकारी ले रही हैं। इसके माध्यम से समाज में छिपी हुई बीमारियां खोजी जाती हैं। इस बार के दस्तक अभियान में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बुखार ,टीवी, कोविड, कुपोषण, फाइलेरिया और मलेरिया के मरीजों के चिन्हीकरण का काम जोरों पर चल रहा है। परिवार के सभी सदस्यों के विषय में पूछा जाता है यदि कोई कोई ऐसा मरीज मिलता है जिसे 2 हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी बुखार आ रहा हो तो उसकी टीबी की जांच भी कराई जाती है। ऐसे में टीबी के धनात्मक रोगी पाए जाने पर खोज कर निकालने वाली आशा बहू को सरकार की तरफ से “निष्क्षय पोषण योजना” के तहत बतौर प्रोत्साहन राशि 500 रुपये देने का प्रावधान है । सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह प्रावधान न सिर्फ आशा बहू अथवा स्वास्थ्य कर्मी को ही मिलता है बल्कि यह आम जनमानस का कोई भी व्यक्ति यदि किसी भी टीवी के रोगी को लेकर स्वास्थ्य विभाग आता है और वह धनात्मक निकलता है तो यह धनराशि आम जनमानस को भी दी जाएगी । इसके साथ साथ बीमारी की पुष्टि होने वाले मरीजों का निशुल्क उपचार कराया जाएगा । जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आर पी गिरी ने बताया कि सरकार के द्वारा ऐसा इसलिए किया गया है । क्योंकि आगामी वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की योजना केंद्र सरकार के द्वारा लाई गई है । इसीलिए इस तरह के अभियानों को गति दी जा रही है । ऐसे में लोगों से अपील है कि वह जांच में सहयोग करें ताकि समय रहते गंभीर बीमारियों का उपचार संभव हो सके और कम से कम जनहानि हो सके 1 जनवरी से 30 जून 2021 तक अमेठी जनपद में टीबी के 1011 मरीज एक्टिव मिले जिसमें से 779 मरीजों का इलाज कर उन्हें पूर्ण स्वस्थ किया जा चुका है । यही नहीं “निष्क्षय पोषण योजना” के अंतर्गत प्रतिमाह 500 रुपए मरीजों को खानपान के लिए भी दिए जा रहे हैं । उन्होंने बताया कि 2 सप्ताह से अधिक खांसी रहना, खांसी के साथ बलगम आना, और बलगम के साथ खून आना सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना, भूख नहीं लगना यह सब ट्यूबर क्लोसिस के लक्षण हो सकते हैं । इन लक्षण वाले मरीज मिलते हैं तो उनकी सूची तैयार की जाती है और वह सूची स्वास्थ विभाग द्वारा संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजी जाती है । इसके बाद चिकित्सा अधीक्षक अपनी टीम भेजकर जांच और इलाज इत्यादि में पूरी मदद करते हैं और उसकी समुचित व्यवस्था तथा दवा सुनिश्चित की जाती है । इसी के साथ में कुपोषित बच्चों की सूची तैयार कर उनको समुचित आहार देने की व्यवस्था बनाई जाती है । इस तरह से किसी भी बड़ी अनहोनी से पहले रोगों की पहचान हो जाती है और उसका उपचार हो जाता है । जैसा ट्रेस, टेस्ट एंड ट्रीट का नियम है इसी नियम का अनुसरण करते हुए आम जनमानस के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है ।