लखनऊ: राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में एक मरीज का सफल लिवर ट्रांसप्लांट (liver Transplant) किया गया है. स्वस्थ होने के बाद मंगलवार को मरीज और डोनर डिस्चार्ज कर दिए गए. ऐसे में संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट की सफलता दर 90 फीसद हो गई है. दिल्ली और केजीएमयू के डॉक्टरों ने मिलकर दो सप्ताह पहले 12 घंटे ऑपरेशन कर लखनऊ निवासी 43 वर्षीय मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट किया था. मंगलवार को मरीज ठीक होने पर कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने देखा. इसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को डिस्चार्ज कर दिया. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक संस्थान में ट्रांसप्लान्ट मरीजों की रिकवरी रेट 90 फीसद है. यह वर्ल्ड के टॉप सेंटरों के बराबर है.
केजीएमयू ने लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल से करार किया था. दिल्ली अस्पताल की टीम भी मरीज के लिवर ट्रांसप्लांट के वक्त मौजूद रही. कोविड काल में यह पहला लिवर ट्रांसप्लांट है. लखनऊ के रहने वाला मरीज लगभग तीन माह से केजीएमयू में इलाज करा रहा था. मरीज का प्रत्यारोपण असाध्य रोग योजना से हुआ है. साथ ही चार लाख रुपये एक संस्था ने मदद की.
बता दें कि प्राइवेट अस्पताल में 30 से 40 लाख, आइएलबीएस दिल्ली में 18 लाख रुपये लिवर ट्रांसप्लांट में खर्च आता है. जबकि केजीएमयू में 10 से 12 लाख में लिवर ट्रांसप्लांट मुमकिन है. केजीएमयू में पहला लिवर ट्रांसप्लांट 14 मार्च 2019 को अमरेंद्र सिंह, 9 मई को नवीन बाजपेयी, 14 जून को विजय कुमार का, 25 जून तरुण जैन और 19 अगस्त को सुबोध का ट्रांसप्लांट किया गया. केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट की 100 से अधिक डॉक्टरों और कर्मचारियों की टीम है. यहां बहु-अंगदान करने वाला यूपी का एकमात्र संस्थान भी है. एम्स नई दिल्ली और आर एंड आर अस्पताल सहित अन्य संस्थानों के साथ केजीएमयू के सहयोग से 50 से अधिक अंगों को भेजा गया.