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कमिश्नर के औचक निरीक्षण में खुली सिटी बसों की पोल, 14 ड्राइवरों की गई नौकरी; 13 कंडक्टर भी सस्‍पेंड

कानपुर: प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्य कि स्थिति बहुत खराब हो गई थी. ऐसा आने वाले समय में ना हो इसके लिए सरकार ने सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन इन नियमों का पालन तरीके से नहीं किया जा रहा है. दरअसल कानपुर में मंडलायुक्त डॉ राजेशखर ने गुरुवार को अपनी टीम के साथ सिटी बस में सफर किया. इस दौरान उन्होंने बसों में कोरोना की गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं? इस का जायजा लिया. इस दौरान तमाम खामियां और कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन न होने के चलते 13 कंडक्टर और 14 बस ड्राइवरों पर गाज गिर गई.

दरअसल मंडलायुक्त ने एक आम आदमी की तरह बस में सफर किया. उन्होंने 6 किलोमीटर तक दो बार अपना स्थान बदला ताकि बस में दोनों आमने-सामने खिड़कियों के माध्यम से शहर के वास्तविकता जान सकें. वहीं बसों की खस्ता हालत और कोविड-19 पालन की भी सत्यता को जाना.

बस कंडक्टर ने पैसे लिए लेकिन नहीं दिया टिकट

कमिश्नर ने इस दौरान 13 बसों के कंडक्टर को निलंबित करने और 14 बस चालकों को नौकरी से निकालने के निर्देश दिए हैं. दरअसल सिटी बसों में कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा था. कमिश्नर डॉ राजशेखर ने दो बसों में सफर किया. कमिश्नर ने देखा कि बस कंडक्टर ने एक यात्री से रुपये तो लिए, लेकिन उसे टिकट नहीं दिया. यहां तक कि बस कंडक्टर और चालक भी मास्क नहीं लगाए हुए थे. कोई भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करता नहीं मिला.

अधिकारियों में है मंडलायुक्त की दहशत

सिटी बसों की लचर व्यवस्था को देख कमिश्नर ने 13 बसों के कंडक्टर को निलंबित करने और 14 बस चालकों को नौकरी से निकालने के आदेश दिये हैं, जिसके बाद से विभाग में हड़कंप मच गया. वैसे डॉ राजशेखर कभी बिजली विभाग के दफ्तर जाकर आम आदमी की तरह विभाग के बने काउंटरों पर बिल जमा करते दिखते हैं या फिर विभागों में निरीक्षण करने के कारण भी चर्चा में रहते हैं. रोडवेज की बस में यात्रा करने के बाद से भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों में डॉ राजशेखर की दहशत देखने को मिल रही है.

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