अम्बेडकर और काशीराम स्मारक के मेंटेनेंस में गड़बड़झाला, जांच में हुआ खुलासा
लखनऊः डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर और काशीराम स्मारक के मेंटेनेंस में गड़बड़झाले की बात सामने आई है. करीब छह महीने पहले इसके किए गए मरम्मत के काम में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. राइट्स से कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक स्मारक समिति के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर मरम्मत का काम खराब ढंग से कराया है. एलडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर ये जांच करायी गयी थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी में बने नए स्मारकों के रखरखाव और इनकी टपकती छतों को दुरुस्त कराने का निर्देश दिया था. इसके लिए बकायदा बजट भी जारी किया गया था. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने स्मारक समिति के अनुरक्षण अनुभाग से डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक और कांशीराम स्मारक का मेंटीनेंस कराया. स्मारक के गुंबद और वीआईपी लाउंज की भी मरम्मत कराई गई. पेंटिंग का कार्य भी कराया गया. इसकी रिपोर्ट एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी के पास पहुंची तो उन्होंने मुख्य अभियंता को इसकी थर्ड पार्टी जांच कराने का निर्देश दिया. जांच की जिम्मेदारी रेलवे की संस्था राइट्स को दी गई थी. राइट्स ने अपनी जांच रिपोर्ट हाल ही में एलडीए को उपलब्ध कराई. इसमें तमाम कमियां के साथ काम टिकाऊ नहीं है, यह बताया गया है.
दरअसल बसपा सरकार के कार्यकाल में 2007 से 2011 के दौरान राजधानी में कांशीराम स्मारक, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक सहित कई पार्कों और स्मारकों का निर्माण हुआ था. कांशीराम स्मारक और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक में कई गुंबद, वीआईपी लाउंज बनाए गए थे. जहां मायावती, कांशीराम सहित तमाम महापुरुषों की मूर्तियां लगी हैं, उनके गुम्बदों की छत बनने के दो साल के बाद ही उसमें से पानी टपकने लगे. पत्थरों से पानी रिस कर मूर्तियों और भीतर टपक रहा था. कुछ की मरम्मत हुई थी. जबकि कुछ हिस्सा बचा हुआ था. बचे हुए कुछ हिस्से की हाल ही में मरम्मत कराई गई. लेकिन इसमें घटिया काम कराया गया. राइट्स ने इसकी पुष्टि की है।
बताया गया कि कांशी राम स्मारक के प्रवेश प्लाजा और वीआईपी लाउंज में भी सही काम नहीं हुआ है. इनकी वाटर प्रूफिंग मानक के अनुसार नहीं की गई है. जिसकी वजह से इनके ठीक होने की उम्मीद नहीं है. इसी तरह डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में भी काम मानक के अनुसार नहीं हुआ है. यहां फायर टैंक की वाटर प्रूफिंग कराई गई है. वो भी सही नहीं है. रिपोर्ट में मिली कमियों को दुरुस्त कराने का निर्देश दिया गया है.