ताज़ा ख़बरधर्म-आस्था

आज जन्माष्टमी पर बन रहा है खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

ज देशभर में धूम- धाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. भादों मास में श्री कृष्ण की पूजा का खास महत्व है. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग पूरा दिन व्रत और पूजा करते हैं. इस साल श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. हर साल जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.

इस खास दिन पर घरों और मंदिरों में विशेष रूप से सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भक्त भगवान की भक्ति में डूबे रहते हैं, मंदिरों में रात 12 बजे तक भगवान कृष्ण के गीत गाएं जाते हैं. आइए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में.

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के दिन वैसा संयोग बन रहा है जैसा द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म पर बना था. इस बार जन्माष्टमी के दिन कई सारे शुभ संयोग बन रहे हैं. कृष्ण जन्मष्टमी पर जयंती और रोहिण नक्षत्र योग बन रहा है. इसके अलावा अष्टमी तिथि पर चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेगा.

आज कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त 2021 को रात 11 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो गया जो 30 अगस्त 2021 की रात 02 बजे तक रहेगा. जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.

जन्माष्टमी की पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लेते हैं. इस पूरे दिन कृष्ण भक्त व्रत रखते हैं और रात के 12 बजे में कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं. जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा होती है. रात्रि में पंचामृत से अभिषेक करें और फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र, मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी, फल, फूल, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. फिर लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं. इसके बाद माखन मिश्री या धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं और बाद में आरती करके प्रसाद को वितरित करें.

जन्माष्टमी का महत्व

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. खासतौर पर निसंतान दंपत्ति को जन्माष्टमी का व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी इच्छा जल्द पूरी होती है. कई लोग जन्माष्टमी के दिन विशेष उपाय करते हैं ताकि उन सभी परेशानियां दूर हो जाएं. ज्योतिषों के अनुसार इन उपायों को करने से आर्थिक समते पारिवारिक समस्याएं दूर हो जाती है. शास्त्रों में कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सारे कष्ट दूर हो जाते हैं कई गुणा फल की प्राप्ति होती है.

पुत्र प्राप्ति मंत्र

ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।

जिन लोगों की कोई संतान नहीं है उन्हें इस का मंत्र का जाप व्रत रखते हुए 108 बार करना चाहिए.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button